अंकुसी का अर्थ
[ anekusi ]
अंकुसी उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- कोई चीज फँसाने या टाँगने आदि के लिए बना हुआ लोहे आदि का टेढ़ा काँटा:"उसने गिरे हुए कपड़े को अँकुसी से उठाया"
पर्याय: अँकुसी, अँकड़ी, अँकसी, आँकड़ा, लकसी, अँकुड़ा, अँअड़ी, अंकसी, आंकड़ा, अंकुड़ा, हुक, कँटिया, कंटिया, आँकुड़ा - ठठेरों का एक औज़ार जो लोहे या पीतल का होता है:"ठठेरा अंकुसी से भट्ठी की राख निकाल रहा है"
- फल तोड़ने की लग्गी के सिरे पर बँधी छोटी सी लकड़ी:"माली अंकुसी में आम फँसाकर तोड़ रहा है"
- नारियल के भीतर गरी निकालनेवाला एक औज़ार जिसका सिरा नुकीला होता है:"नारियलवाला अपनी अंकुसी ढूँढ रहा है"
पर्याय: सूजा - भट्टी के अंगारों को हिलाने या ऊपर नीचे करने का औजार:"लोहार कुरेदनी से भट्टी की आग को कुरेद रहा है"
पर्याय: कुरेदनी, कुरेलनी, अँकुसी - वह चाबी जिससे हर तरह के ताले खुलते हैं:"चोर ने चोर-चाबी से तिजोरी को खोला है"
पर्याय: चोर-चाबी, चोर-कुंजी, मास्टर-चाबी, मास्टर-कुंजी, चोरचाबी, चोरकुंजी, मास्टरचाबी, मास्टरकुंजी, अँकुसी
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- अंकुशी या अंकुसी भी ऐसा ही एक शब्द है ।
- अंकुशी या अंकुसी भी ऐसा ही एक शब्द है ।
- ब्लास्टिंग के बाद वह कुछ अंकुसी और हथौडे़ लेकर पत्थर तोड़ने के लिए आये ताकि वह इन्तज़ार कर रहे ट्रकों में हाथों से लदाई करने के पहले उनकी छंटाई कर सकें .
- ब्लास्टिंग के बाद वह कुछ अंकुसी और हथौडे़ लेकर पत्थर तोड़ने के लिए आये ताकि वह इन्तज़ार कर रहे ट्रकों में हाथों से लदाई करने के पहले उनकी छंटाई कर सकें . वेदांत के सारे खनिक ठेका मजदूर हैं .
- और आपने बिल्कुल सही लिखा है कटिया ( अंकुसी) सिस्टम के बारे में पर बिजली रानी दिखे तब न अंकुसी फंसाया जाये ! जब बिहार जाता हूँ तो यह शेर थोड़े परिवर्तन के सथ साकार हो जाता है - शाम होते ही चराग़ों को बुझा देता हूं मैं दिल ही काफ़ी है तिरी (बिजली रानी) याद मे जलने के लिए।
- और आपने बिल्कुल सही लिखा है कटिया ( अंकुसी ) सिस्टम के बारे में पर बिजली रानी दिखे तब न अंकुसी फंसाया जाये ! जब बिहार जाता हूँ तो यह शेर थोड़े परिवर्तन के सथ साकार हो जाता है - शाम होते ही चराग़ों को बुझा देता हूं मैं दिल ही काफ़ी है तिरी ( बिजली रानी ) याद मे जलने के लिए।
- और आपने बिल्कुल सही लिखा है कटिया ( अंकुसी ) सिस्टम के बारे में पर बिजली रानी दिखे तब न अंकुसी फंसाया जाये ! जब बिहार जाता हूँ तो यह शेर थोड़े परिवर्तन के सथ साकार हो जाता है - शाम होते ही चराग़ों को बुझा देता हूं मैं दिल ही काफ़ी है तिरी ( बिजली रानी ) याद मे जलने के लिए।