अंगन्यास का अर्थ
[ aneganeyaas ]
अंगन्यास उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- मंत्रों को पढ़ते हुए शरीर के अंगों को स्पर्श करने की क्रिया:"अंगन्यास भी धार्मिक अनुष्ठान का एक अंग है"
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- करन्यास अंगन्यास : करन्यास : ¬ हां अंगुष्ठाभ्यां नमः।
- इस स्तोत्र के अंगन्यास और करन्यास तीन प्रकार से किये जाते हैं।
- विनियोग एवं अंगन्यास के बिना जप करने से मंत्र की शक्ति क्षीण होती है।
- विनियोग एवं अंगन्यास के बिना जप करने से मंत्र की शक्ति क्षीण होती है।
- अंगन्यास में निम्नलिखित मंत्र पढ़कर क्रमशः सिर , मुख , हृदय , लिं तथा चरण का स्पर्श करें।
- अब बैठ कर अंगन्यास करे , दाहिने हाथ की पाँचों अंगुलियों से “ हृदय ” आदि का स्पर्श करे -
- ॠषि , छन्द, देवता, शक्ति और बीज का स्मरण कर मंत्र का करन्यास और अंगन्यास करके गुरुस्मरण-पूर्वक, इष्टदेव सदाशिव का अपने हृदयकमल में ध्यान करे।
- मंत्र के जप से पूर्व उसका विनियोग करने से साधक का उद्देश्य सफल होता है तथा अंगन्यास करने से शरीर साधना के उपयुक्त बनता है।
- मंत्र के जप से पूर्व उसका विनियोग करने से साधक का उद्देश्य सफल होता है तथा अंगन्यास करने से शरीर साधना के उपयुक्त बनता है।
- ॠषि , छन्द , देवता , शक्ति और बीज का स्मरण कर मंत्र का करन्यास और अंगन्यास करके गुरुस्मरण-पूर्वक , इष्टदेव सदाशिव का अपने हृदयकमल में ध्यान करे।