अकृपण का अर्थ
[ akeripen ]
अकृपण उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषणउदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- आत्मज्ञानी ही अकृपण है , वही निर्भय है।
- अकृपण - वि . सं. जो कंजूस न हो, उदार.
- एकाग्र ध्यान न हो तो सब इन्द्रियों का अकृपण प्रयोग कैसे हो ।
- कृष्ण ललकारता है मनुष्य को अकृपण बनने के लिए , अपनी शक्ति को पूरी तरह और एकाग्र उछालने के लिए।
- उसके बाद उस गर्मी में जल जाये हमारी जड़ता तब शायद गरम कपड़े से ढँक सकेंगे हम रास्ता किनारे के उस नंगे लड़के को आज मगर हम प्रार्थी हैं तुम्हारे अकृपण उत्ताप के।
- और , 'जागृति' में आने पर शंकर को शुरूसे ही विद्याभूषण से जो सम्पादकीय छूट मिलने लगी थी उसके कारण भी वह हार्दिकरूप में उनका कृतज्ञ था; साहित्य ही नहीं; विचारो के क्षेत्र में भी विद्याभूषणहमेशा शंकर का लोहा मानते रहे, और अकृपण भाव से उसे अपने से ऊँचा स्थानदेते रहे-हालाँकि इसी के चलते एक बार एक ऐसी घटना घटी जिसने शंकर कोउनसे विमुख कर दिया था.