अध्यात्म-रामायण का अर्थ
[ adheyaatem-raamaayen ]
अध्यात्म-रामायण उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- वाल्मीकि रामायण के बाद का राम कथा का दूसरा प्राचीन ग्रंथ जिसे राम कथा का उत्तर खंड के रूप में स्वीकारा जाता है :"अध्यात्म रामायण में भगवान राम के ईश्वरत्व को उभारा गया है"
पर्याय: अध्यात्म रामायण, अध्यात्मरामायण
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- वाल्मीकि रचित रामायण , अद्भुत-रामायण, आनंद-रामायण आदि के समान अध्यात्म-रामायण किसी ऋषि के जरिए रची हुई नहीं है।
- वाल्मीकि रचित रामायण , अद्भुत-रामायण , आनंद-रामायण आदि के समान अध्यात्म-रामायण किसी ऋषि के जरिए रची हुई नहीं है।
- इनमें बाल्मीकि-रामायण , अध्यात्म-रामायण , रघुवंश , उत्तररामचरित , हनुमन्नाटक , प्रसन्नराघव नाटक , बाल रामायण , विष्णु-पुराण , श्रीमद्भागवत , भगवद्गीता आदि उल्लेख्य हैं ।
- इनमें बाल्मीकि-रामायण , अध्यात्म-रामायण , रघुवंश , उत्तररामचरित , हनुमन्नाटक , प्रसन्नराघव नाटक , बाल रामायण , विष्णु-पुराण , श्रीमद्भागवत , भगवद्गीता आदि उल्लेख्य हैं ।
- लेकिन थोड़ा क्रमभेद हैं , अर्थात् अध्यात्म-रामायण में यह प्रकरण महर्षि विश्वामित्र के यज्ञ की समाप्ति के बाद जनकपुर जाते समय गंगा पार करने के पहले केवट राम से कहता है कि आपके चरणों को धोए बिना नाव पर नहीं चढ़ाऊँगा , अन्यथा मेरी नाव भी शिला की भाँति स्त्री बन जाएगी।
- अध्यात्म-रामायण में उन्हें अपने अधिकारों के प्रति सचेष्ट तथा राम को वन जाने से रोकते हुए चित्रित करके उनके मन की द्विविधा का वर्णन किया गया है तथा उनके हृदय में प्रेम-भावना और बृद्धि का परस्पर संघर्ष दिखाया गया है परन्तु तुलसीदास ने इस प्रसंग के वर्णन में कौशल्या के चरित्र को बहुत ऊँचा उठा दिया है।
- संस्कृत के धार्मिक साहित्य में राम-कथा का रूप , अपेक्षाकृत , कम व्यापक रहा ; फिर भी , रघुवंश , भटि्टकाव्य , महावीर-चरित , उत्तर-रामचरित , प्रतिमा-नाटक , जानकी-हरण , कुन्दमाला , अनर्घराघव , बालरामायण , हनुमान्नाटक , अध्यात्म-रामायण , अद्भूत-रामायण , आनन्द-रामायण आदि अनेक काव्य इस बात के प्रमाण हैं कि भारतवर्ष के विभिन्न क्षेत्रों के कवियों पर वाल्मीकि-रामायण का कितना गम्भीर प्रभाव पड़ा था।
- संस्कृत के धार्मिक साहित्य में राम-कथा का रूप , अपेक्षाकृत , कम व्यापक रहा ; फिर भी , रघुवंश , भटि्टकाव्य , महावीर-चरित , उत्तर-रामचरित , प्रतिमा-नाटक , जानकी-हरण , कुन्दमाला , अनर्घराघव , बालरामायण , हनुमान्नाटक , अध्यात्म-रामायण , अद्भूत-रामायण , आनन्द-रामायण आदि अनेक काव्य इस बात के प्रमाण हैं कि भारतवर्ष के विभिन्न क्षेत्रों के कवियों पर वाल्मीकि-रामायण का कितना गम्भीर प्रभाव पड़ा था।