अनिमिष का अर्थ
[ animis ]
अनिमिष उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषणक्रिया-विशेषणउदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- मृदु करतल पर शशिमुख धार नीरव अनिमिष एकाकिनि
- जागृत था तव अविचल मंगल नत अनिमिष नयनों में
- नीले नभ के शतदल पर वह बैठी शारद-हासिनि , मृदु करतल पर शशि-मुख धर नीरव, अनिमिष एकाकिनि।
- मृदु करतल पर शशिमुख धार नीरव अनिमिष एकाकिनि इसी प्रकार ऑंसुओं को ' नयनों के बाल ' कहना भी व्यर्थ सा है।
- ख-सुख की प्रक्रियाएँ आज सब संघर्ष मेरे पा गए सहसा समन्वय- आज अनिमिष देख तुम को लीन मैं चिर-ध्यान में हूँ ! मैं तुम्हारे ध्यान में हूँ !
- जब से हम-तुम मिले , रूप के अगम, फुल कानन में अनिमिष मेरी दृष्टि किसी विस्मय में ड़ूब गयी है, अर्थ नहीं सूझता मुझे अपनी ही विकल गिरा का; शब्दों से बनाती हैं जो मूर्त्तियां, तुम्हारे दृग से.
- जब से हम-तुम मिले , रूप के अगम , फुल कानन में अनिमिष मेरी दृष्टि किसी विस्मय में ड़ूब गयी है , अर्थ नहीं सूझता मुझे अपनी ही विकल गिरा का ; शब्दों से बनाती हैं जो मूर्त्तियां , तुम्हारे दृग से . उठने वाले क्षीर-ज्वार में गल कर खो जाती हैं .
- कितनी गौरवमयी घड़ी वह भी नारी जीवन की जब अजेय केसरी भूल सुध-बुध समस्त तन-मन की पद पर रहता पड़ा , देखता अनिमिष नारी-मुख को , क्षण-क्षण रोमाकुलित , भोगता गूढ़ अनिर्वच सुख को ! यही लग्न है वह जब नारी , जो चाहे , वह पा ले , उडुऑ की मेखला , कौमुदी का दुकूल मंगवा ले .
- भाँति-भाँति के विविध प्रसाधन बार-बार रचते हैं और उर्वशी पीकर सब आनन्द मौन रहती है अर्धचेत पुलकातिरेक मॅ मन्द-मन्द बहती है मदनिका इसमॅ क्या आश्चर्य ? प्रीति जब प्रथम-प्रथम जगती है, दुर्लभ स्वप्न समान रम्य नारी नर को लगती है कितनी गौरवमयी घड़ी वह भी नारी जीवन की जब अजेय केसरी भूल सुध-बुध समस्त तन-मन की पद पर रहता पड़ा, देखता अनिमिष नारी-मुख को, क्षण-क्षण रोमाकुलित, भोगता गूढ़ अनिर्वच सुख को! यही लग्न है वह जब नारी, जो चाहे, वह पा ले, उडुऑ की मेखला, कौमुदी का दुकूल मंगवा ले.