अनिर्वाच्य का अर्थ
[ anirevaachey ]
अनिर्वाच्य उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषणउदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- धनंजय - “शमप्रकर्षों निर्वाच्यो मुदितादेस्तदात्मता” [ 16], अर्थात् शान्त रस अनिर्वाच्य और शम का प्रकर्ष है तथा मोद उसका स्वरूप है।
- धनंजय - “ शमप्रकर्षों निर्वाच्यो मुदितादेस्तदात्मता ” [ 16 ] , अर्थात् शान्त रस अनिर्वाच्य और शम का प्रकर्ष है तथा मोद उसका स्वरूप है।
- फिर भी उसे लग रहा था जैसे वह साथ खाने की क्रिया अनिर्वाच्य रूप में , दोनों को भावना और एक चिन्ता के सूत्र में आबद्ध कर रही थी।
- जिस समय यह साधक इस अदृश्य , अशरीर , अनिर्वाच्य और निराधार ब्रह्म मे अभय- स्थिति प्राप्त करता है उस समय यह अभय को प्राप्त हो जाता है ;
- जिस समय यह साधक इस अदृश्य , अशरीर , अनिर्वाच्य और निराधार ब्रह्म मे अभय- स्थिति प्राप्त करता है उस समय यह अभय को प्राप्त हो जाता है ;
- परन्तु नदी के उस पारअलौकिक की आलोकमयी भूमि है , जहाँ पर जाकर आवागमन नहीं होता, भव-बंवन का कंठ-कुठारअपने आप भू-पतित हो जाता है, और जीवात्मा अनिर्वाच्य विश्राम का शांत-विन्दु लब्धकर जाती है.
- ओ कमरे के कैदी कवि मन ' , समय सधे तो सब सध जाता / यही समय की सार्थकता है , कटे शीश के श्वेत कबूतर , मैं ही हूँ वह आम आदमी , जो उजियारे में था थोपा , प्रजाजनों के दुःख-दर्दों से , प्रेरक अनल प्रताप नहीं है , दैहिक-दैविक संतापों से , कैकेयी सी कोप भवन में , अनिर्वाच्य आनंद बरसता आदि में छेकानुप्रास-वृत्यानुप्रास गलबहियां डाले मिलते हैं .
- ओ कमरे के कैदी कवि मन ' , समय सधे तो सब सध जाता / यही समय की सार्थकता है , कटे शीश के श्वेत कबूतर , मैं ही हूँ वह आम आदमी , जो उजियारे में था थोपा , प्रजाजनों के दुःख-दर्दों से , प्रेरक अनल प्रताप नहीं है , दैहिक-दैविक संतापों से , कैकेयी सी कोप भवन में , अनिर्वाच्य आनंद बरसता आदि में छेकानुप्रास-वृत्यानुप्रास गलबहियां डाले मिलते हैं .