अपोह का अर्थ
[ apoh ]
अपोह उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- किसी प्रकार के जंजाल, झंझट, पाश, बंधन आदि से मुक्त होने की क्रिया:"किसी भी प्रकार के बंधन से मुक्ति की आकांक्षा हर एक की होती है"
पर्याय: मुक्ति, आज़ादी, आजादी, छुटकारा, उन्मुक्ति, निजात, निज़ात, बंधनमुक्ति, बंधन-मुक्ति, बंधन मुक्ति, विमुक्ति, रिहाई, छूट, अजादी, निवृत्ति, उद्धार, विमोचन, निवारण, व्यवच्छेद, अवसर्जन, उग्रह - मुक्त करने या होने की अवस्था या भाव:"अमरीका में दासों की मुक्ति का श्रेय अब्राहम लिंकन को दिया जाता है"
पर्याय: मुक्ति, आज़ादी, आजादी, छुटकारा, उन्मुक्ति, निजात, निज़ात, बंधनमुक्ति, बंधन-मुक्ति, बंधन मुक्ति, विमुक्ति, रिहाई, अजादी, निवृत्ति, उद्धार, व्यवच्छेद, अवसर्जन, उग्रह
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- इसी को ' अन्यापोह' या 'अपोह' कहते हैं।
- अपोह सिद्धांत के विकास के तीन स्तर माने जाते हैं।
- सुधि ज्ञान और अपोह मुझसे , मैं सभी में बस रहा ||
- अपोह का अर्थ होता है तार्किक आधार पर समस्या का निराकरण।
- अपोह का अर्थ होता है तार्किक आधार पर समस्या का निराकरण।
- ‘ अपोह ' का अर्थ होता है तार्किक आधार पर समस्या का निराकरण।
- अपोह ही शब्दार्थ है , यह बौद्धों की प्रसिद्ध सिद्धान्त है , इसका इसमें मण्डन किया है।
- शब्द तथा अर्थ सम्बन्ध के विषय मॅ बौद्धॉ का मत अपोहवाद कहलाता है , इस मत के जनक बौद्ध न्याय के प्रतिपादक दिड्नाग माने जाते है ,वे अपने प्रमाणसमुच्चय के पाँचवे परिच्छेद मे अपोहवाद की संकल्पना प्रस्तुत करते है, अपोह का अर्थ है वस्तु से भिन्न का निषेध ।
- अपोह के दो रूप माने गए है 1 पर्युदास रूप जो भावात्मक है 2 प्रसज्य प्रतिषेध जो निषेधात्मक है दिड्नाग ने शब्द बौद्ध के संर्दभ मे प्रसज्य प्रतिषेध को ही शब्द का वाच्य अर्थ माना था भावात्मक मानस बिबं की कल्पना उन्होंने शब्द के वाच्य अर्थ के रूप मॅ नहीं की थी ।