अप्रतिभट का अर्थ
[ apertibhet ]
अप्रतिभट उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषण- अतुलनीय साहसी :"अप्रतिभट भीम से दुर्योधन डरता था"
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- अप्रतिभट वही एक अर्बुद सम महावीर
- बौद्ध न्याय के अप्रतिभट विद्वान् और मध्ययुगीन अभिनय तर्कशैली के जन्मदाता थे।
- अप्रतिभट वही एक अर्बुद-सम महावीर हैं वही दक्ष सेनानायक है वही समर , फिर कैसे असमय हुआ उदय भाव-प्रहर!
- वही महाबल श्वेत धीर , अप्रतिभट वही एक अर्बुद सम महावीर हैं वही दक्ष सेनानायक है वही समर, फिर कैसे असमय हुआ उदय यह भाव प्रहर।
- वही महाबल श्वेत धीर , अप्रतिभट वही एक अर्बुद सम महावीर हैं वही दक्ष सेनानायक है वही समर, फिर कैसे असमय हुआ उदय यह भाव प्रहर।
- राम का विषण्णानन देखते हुए कुछ क्षण , “हे सखा” विभीषण बोले “आज प्रसन्न वदन वह नहीं देखकर जिसे समग्र वीर वानर भल्लुक विगत-श्रम हो पाते जीवन निर्जर, रघुवीर, तीर सब वही तूण में है रक्षित, है वही वक्ष, रणकुशल हस्त, बल वही अमित, हैं वही सुमित्रानन्दन मेघनादजित् रण, हैं वही भल्लपति, वानरेन्द्र सुग्रीव प्रमन, ताराकुमार भी वही महाबल श्वेत धीर, अप्रतिभट वही एक अर्बुद सम महावीर हैं वही दक्ष सेनानायक है वही समर, फिर कैसे असमय हुआ उदय यह भाव प्रहर।
- राम का विषण्णानन देखते हुए कुछ क्षण , “हे सखा” विभीषण बोले “आज प्रसन्न वदन वह नहीं देखकर जिसे समग्र वीर वानर भल्लुक विगत-श्रम हो पाते जीवन निर्जर, रघुवीर, तीर सब वही तूण में हैं रक्षित, है वही वक्ष, रणकुशल हस्त, बल वही अमित, हैं वही सुमित्रानन्दन मेघनादजित् रण, हैं वही भल्लपति, वानरेन्द्र सुग्रीव प्रमन, ताराकुमार भी वही महाबल श्वेत धीर, अप्रतिभट वही एक अर्बुद सम महावीर हैं वही दक्ष सेनानायक है वही समर, फिर कैसे असमय हुआ उदय यह भाव प्रहर।
- राम का विषण्णानन देखते हुए कुछ क्षण , “ हे सखा ” विभीषण बोले ” आज प्रसन्न वदन वह नहीं देखकर जिसे समग्र वीर वानर भल्लुक विगत-श्रम हो पाते जीवन निर्जर , रघुवीर , तीर सब वही तूण में हैं रक्षित , है वही वक्ष , रणकुशल हस्त , बल वही अमित , हैं वही सुमित्रानन्दन मेघनादजित् रण , हैं वही भल्लपति , वानरेन्द्र सुग्रीव प्रमन , ताराकुमार भी वही महाबल श्वेत धीर , अप्रतिभट वही एक अर्बुद सम महावीर हैं वही दक्ष सेनानायक है वही समर , फिर कैसे असमय हुआ उदय यह भाव प्रहर।
- राम का विषण्णानन देखते हुए कुछ क्षण , “ हे सखा ” विभीषण बोले ” आज प्रसन्न वदन वह नहीं देखकर जिसे समग्र वीर वानर भल्लुक विगत-श्रम हो पाते जीवन निर्जर , रघुवीर , तीर सब वही तूण में हैं रक्षित , है वही वक्ष , रणकुशल हस्त , बल वही अमित , हैं वही सुमित्रानन्दन मेघनादजित् रण , हैं वही भल्लपति , वानरेन्द्र सुग्रीव प्रमन , ताराकुमार भी वही महाबल श्वेत धीर , अप्रतिभट वही एक अर्बुद सम महावीर हैं वही दक्ष सेनानायक है वही समर , फिर कैसे असमय हुआ उदय यह भाव प्रहर।