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अफ़शाँ का अर्थ

[ afeshaan ]
अफ़शाँ उदाहरण वाक्य

परिभाषा

विशेषण
  1. इधर-उधर फैला हुआ या छितराया हुआ:"पक्षी धरती पर बिखरे अनाज के दाने चुग रहे हैं"
    पर्याय: बिखरा, फैला, छितराया, बिखरा हुआ, विकीर्ण, प्रकीर्ण, अफ़शान, अफशान, अफशाँ, असंहत
संज्ञा
  1. पानी की बूँद:"पद्म-पत्र पर छिटके जलकण सूर्य-प्रकाश में मोती से चमक रहे हैं"
    पर्याय: जलकण, शीकर, सीकर, अपसार, अफ़शान, अफशान, अफशाँ
  2. बादले के छोटे-छोटे टुकड़े :"अफ़शाँ स्त्रियों के मुख पर शोभा के लिए छिड़के जाते हैं"
    पर्याय: अफ़शान, अफशान, अफशाँ

उदाहरण वाक्य

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  1. किया राज़ अफ़शाँ निगाहों ने दिल का छुपाते-छुपाते ख़बर हो गई
  2. रुहेलखण्ड में तो मुसलमान विवाहितायें भी सुनहरी अफ़शाँ या चन्दन से मांग भरती हैं।
  3. रुहेलखण्ड में तो मुसलमान विवाहितायें भी सुनहरी अफ़शाँ या चन्दन से मांग भरती हैं।
  4. आज तेरी एक नज़्म पढी थी , पढते-पढते लफ़्ज़ों के कुछ रंग लबों पर छूट गए ... .... सारा दिन पेशानी पर , अफ़शाँ के ज़र्रे झिलमिल-झिलमिल करते रहे।
  5. आज तेरी एक नज़्म पढी थी , पढते-पढते लफ़्ज़ों के कुछ रंग लबों पर छूट गए ... .... सारा दिन पेशानी पर , अफ़शाँ के ज़र्रे झिलमिल-झिलमिल करते रहे।
  6. नग़मा-ओ-साज़ के ज़ेवर से रहे तेरा सिंगार , हो तेरी माँग में तेरी ही सुरों की अफ़शाँ , तेरी तानों से तेरी आँख में रहे काजल की लक़ीर , हाथ में तेरे ही गीतों की हिना हो रखशाँ।
  7. लगता है- गुलज़ार और कबीर ने एक साथ कई नज़्मों में प्रवेश किया है- और ख़ाकी बदन को पानी का बुलबुला मानते हुए- यह रहस्य पाया है कि वक्त की हथेली पर बहता यह वह बुलबुला है , जिसे कभी न तो समंदर निगल सका, न कोई इतिहास तोड़ पाया! गुलज़ार ने अपने जिस मित्र “मंसूरा अहमद” के लिए ये पंक्तियाँ लिखीं थी: आज तेरी एक नज़्म पढी थी, पढते-पढते लफ़्ज़ों के कुछ रंग लबों पर छूट गए... ....सारा दिन पेशानी पर, अफ़शाँ के ज़र्रे झिलमिल-झिलमिल करते रहे।


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