अबाह्य का अर्थ
[ abaahey ]
अबाह्य उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषणउदाहरण वाक्य
- यदि कहिये केवल अज्ञ पुरुष की दृष्टि का अवलम्बन कर कर्मकाण्डप्रवृत्ति में जीवस्वातन्त्र्यवाद है , उसको शिथिल कर सम्पूर्ण भूतों में एकात्म्यज्ञान के लिए प्रवृत्त विवेकदृष्टि का अवलम्बन कर ईश्वरस्वातन्त्र्यावाद है , उसके फलभूत ज्ञान से प्राप्त विवेकदृष्टि का अवलम्बन करके ' तदेतद् ब्रह्मापूर्वमनपरमनन्तरमबाह्यमयमात्मा ब्रह्म सर्वानुभूः ' ( यह ब्रह्म कारण शून्य , कार्यरहित , अनन्तर , अबाह्य , सर्वरूप से सबका अनुभव करने वाला है ) , ' न कर्तृत्वं न कर्माणि ' इत्यादि श्रुतिवाद और स्मृतिवाद है।
- यदि कहिये केवल अज्ञ पुरुष की दृष्टि का अवलम्बन कर कर्मकाण्डप्रवृत्ति में जीवस्वातन्त्र्यवाद है , उसको शिथिल कर सम्पूर्ण भूतों में एकात्म्यज्ञान के लिए प्रवृत्त विवेकदृष्टि का अवलम्बन कर ईश्वरस्वातन्त्र्यावाद है , उसके फलभूत ज्ञान से प्राप्त विवेकदृष्टि का अवलम्बन करके ' तदेतद् ब्रह्मापूर्वमनपरमनन्तरमबाह्यमयमात्मा ब्रह्म सर्वानुभूः ' ( यह ब्रह्म कारण शून्य , कार्यरहित , अनन्तर , अबाह्य , सर्वरूप से सबका अनुभव करने वाला है ) , ' न कर्तृत्वं न कर्माणि ' इत्यादि श्रुतिवाद और स्मृतिवाद है।