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अभव्य का अर्थ

[ abhevy ]
अभव्य उदाहरण वाक्य

परिभाषा

विशेषण
  1. जो सभ्य न हो:"तुम असभ्य व्यक्ति की तरह क्यों रहते हो ? / वह लट्ठमार बोली बोलता है"
    पर्याय: असभ्य, अशिष्ट, गँवार, बदतमीज़, बदतमीज, गुस्ताख़, गुस्ताख, बेहूदा, बेअदब, जंगली, शिष्टाचारहीन, संस्कारहीन, असंस्कृत, शीलहीन, आचारहीन, अभद्र, लंठ, लट्ठमार, लठमार, उजड्ड, अक्खड़, उज्जट, उज्झड़, शीलरहित, रूखा, रुक्ष, रूख, भोंडा, रूढ़, असाई, असाधु, आचारभ्रष्ट, उठंगल
संज्ञा
  1. जैन मतानुसार वह जीव जो मोक्ष प्राप्त नहीं कर सकता :"अभव्यों की स्थिति देख उन्हें दुख होता है"

उदाहरण वाक्य

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  1. इस द्रष्टान्त में भव्य जीवात्मा एवं अभव्य जीवात्मा के बारे में समझाया गया है।
  2. आरोप है कि बेंजामिन ने वरिष्ठ प्रेफेसर रजत राय केसाथ अभव्य आचरण किया है।
  3. अभव्य - जो कभी भी संसार के दुखों से छूटकर मोक्ष सुख प्राप्त नहीं कर सकेंगे ऐसे जीव अभव्य कहलाते हैं ।
  4. अभव्य - जो कभी भी संसार के दुखों से छूटकर मोक्ष सुख प्राप्त नहीं कर सकेंगे ऐसे जीव अभव्य कहलाते हैं ।
  5. अभव्य जीवात्मा तो गंदगी के कीड़े के समान होता है जिसे अगर स्वच्छ जल में रखा जाय तो वह तड़पने लगता है।
  6. ऋषभदेव जैसे भव्य सद्गुण को पाकर भी मारीच भटकता है और अभव्य से दीक्षा लेकर भी भव्य संसार से पार हो जाता है।
  7. मृत्यु द्वारा हरे गये लोगों को चाहने वाली , अनेक मानसिक व्यथाओं से व्याप्त ( अनेक मानिसक व्यथाएँ जिसमें चोर के समान छिपी रहती हैं ) अभव्य लक्ष्मी से दुःख को छोड़कर कुछ भी सुख नहीं देखता।।
  8. प्राण आदि चार कोशों का आधार होने के कारण जिसमें आत्मचमत्कृति ( अध्यस्त-चैतन्यतादात्म्य ) लिपटी सी है , ऐसा यह शरीर अज्ञ होने पर भी अभिज्ञ के समान और अभव्य होने पर भी भव्य के समान प्रतीत होता है।
  9. उसी तरह जिसे धर्म की बात सुनने में , आत्मा की बात सुनने में उबासी आये , बैचेनी लगे , नींद आये या वह वहाँ से उठकर भागना चाहे और अगर भाग न पावे तो वहीं पर अपने कलुषित विचारों की गंदगी फैलाकर , स्वयं उसके बीच में बैठ कर सुख का अनुभव करता हो , वह अभव्य या दूरान्दूर भव्य जीवात्मा है।


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  1. अभरन
  2. अभरम
  3. अभल
  4. अभव
  5. अभवितव्यता
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