अर्द्धसम का अर्थ
[ areddhesm ]
अर्द्धसम उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- रोला छंद एक अर्द्धसम मात्रिक छंद है।
- दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छंद है।
- आल्हा या वीर छन्द अर्द्धसम मात्रिक छन्द है , जिसके हर पद (पंक्ति) में क्रमशः १६-१६ मात्राएँ, चरणान्त क्रमशः दीर्घ-लघु होता है.
- आल्हा अर्द्धसम मात्रिक छन्द है , जिसके हर पद ( पंक्ति ) में क्रमशः 16 - 16 मात्राएँ , दीर्घ-लघु होती है ....
- आल्हा या वीर छन्द अर्द्धसम मात्रिक छन्द है , जिसके हर पद ( पंक्ति ) में क्रमशः १ ६ - १ ६ मात्राएँ , चरणान्त क्रमशः दीर्घ-लघु होता है।
- इस संस्करण में ग्रंथ का परिचय इस प्रकार दिया गया है- ' छन्दःप्रभाकर' अर्थात भाषा पिंगल, सूत्र और गूढ़ार्थ सहित जिसमें छन्द शास्त्र की विशेष ज्ञानोत्पत्ति के लिए मात्राप्रस्तार, वर्णप्रस्तार, मेरु, मर्कटी, पताका प्रकरण, मात्रिकसम, अर्द्धसम, विषम और वर्णसम, अर्द्धसम और विषम वृत्त प्रकरणों का वर्णन बड़ी विचित्र और सरल रीति से लक्षण और उत्तम उदाहरणों सहित दिया है।
- इस संस्करण में ग्रंथ का परिचय इस प्रकार दिया गया है- ' छन्दःप्रभाकर' अर्थात भाषा पिंगल, सूत्र और गूढ़ार्थ सहित जिसमें छन्द शास्त्र की विशेष ज्ञानोत्पत्ति के लिए मात्राप्रस्तार, वर्णप्रस्तार, मेरु, मर्कटी, पताका प्रकरण, मात्रिकसम, अर्द्धसम, विषम और वर्णसम, अर्द्धसम और विषम वृत्त प्रकरणों का वर्णन बड़ी विचित्र और सरल रीति से लक्षण और उत्तम उदाहरणों सहित दिया है।
- इस संस्करण में ग्रंथ का परिचय इस प्रकार दिया गया है- ' छन् दःप्रभाकर ' अर्थात भाषा पिंगल , सूत्र और गूढ़ार्थ सहित जिसमें छन् द शास्त्र की विशेष ज्ञानोत्पत्ति के लिए मात्राप्रस्तार , वर्णप्रस्तार , मेरु , मर्कटी , पताका प्रकरण , मात्रिकसम , अर्द्धसम , विषम और वर्णसम , अर्द्धसम और विषम वृत्त प्रकरणों का वर्णन बड़ी विचित्र और सरल रीति से लक्षण और उत्तम उदाहरणों सहित दिया है।
- इस संस्करण में ग्रंथ का परिचय इस प्रकार दिया गया है- ' छन् दःप्रभाकर ' अर्थात भाषा पिंगल , सूत्र और गूढ़ार्थ सहित जिसमें छन् द शास्त्र की विशेष ज्ञानोत्पत्ति के लिए मात्राप्रस्तार , वर्णप्रस्तार , मेरु , मर्कटी , पताका प्रकरण , मात्रिकसम , अर्द्धसम , विषम और वर्णसम , अर्द्धसम और विषम वृत्त प्रकरणों का वर्णन बड़ी विचित्र और सरल रीति से लक्षण और उत्तम उदाहरणों सहित दिया है।
- इस संस्करण में ग्रंथ का परिचय इस प्रकार दिया गया है- ' छन् दःप्रभाकर ' अर्थात भाषा पिंगल , सूत्र और गूढ़ार्थ सहित जिसमें छन् द शास्त्र की विशेष ज्ञानोत्पत्ति के लिए मात्राप्रस्तार , वर्णप्रस्तार , मेरु , मर्कटी , पताका प्रकरण , मात्रिकसम , अर्द्धसम , विषम और वर्णसम , अर्द्धसम और विषम वृत्त प्रकरणों का वर्णन बड़ी विचित्र और सरल रीति से लक्षण और उत्तम उदाहरणों सहित दिया है।