अशुभकारक का अर्थ
[ ashubhekaarek ]
अशुभकारक उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषणउदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- संतान के लिए यह समय कुछ अशुभकारक हैं।
- इनके अलावा संबंधित अशुभकारक ग्रहों के मंत्र जप करें जो सर्वविदित हैं।
- यदि मंगल अशुभकारक हो तो फ़ोडा , ज्वर, मष्तिष्क ज्वर, अल्सर आदि रोग प्रदान करता है !
- किसी भी देव की प्रतिमा का भंग होना , फूटना या हँसना , चलना आदि अशुभकारक है।
- कुछ ग्रह ऐसे होते हैं जो हमारे लिये अशुभकारक होते हैं और उनका कार्य केवल हमें समस्याएं देना होता है।
- अब यदि ऐसे ग्रह का रत्न धारण कर लिया जाये तो वह अशुभकारक ग्रह बलवान हो जायेगा और अधिक समस्यायें उत्पन्न होंगी।
- शुक्र शांति के लिए उपाय : जन्म या वर्ष कुंडली में शुक्र अशुभकारक हो तो शुभ मुहूर्त्त में निम्न मंत्र का 16,000 की संखया में जप तथा तदुपरांत दशांश संखया में हवन करना कल्याणकारी होगा।
- जहां तक बाह्य समायोजन का विचार है , जल का बहाव , जमाव , नदी-नाले , तालाब आदि वास के पूर्व और उत्तर हों तो शुभदायक और दक्षिण तथा पश्चिम हों तो अशुभकारक होते हैं।
- सर्वप्रथम यह देखना चाहिए की मंगल किस भाव का स्वामी है कहाँ स्थित है किस नशत्र में स्थित है तथा उस नशत्र का स्वामी किस भाव का मालिक है और कहाँ स्थित है तथा मंगल का द्रष्टि प्रभाव कहाँ कहाँ है और वह शुभ अशुब कैसा है अर्थात जब तक यह सिद्ध न हो जाये की मंगल अशुभकारक है तब तक ज्योतिषी को यह नहीं कहना चाहिए की जातक मंगली है !