अस्वार्थ का अर्थ
[ asevaareth ]
अस्वार्थ उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषण- जिसमें स्वार्थ या अपना हित न हो :"हमें अपने कर्तव्यों का पालन निस्वार्थ भाव से करना चाहिए"
पर्याय: निस्वार्थ, निःस्वार्थ, अमाय, अमाया
उदाहरण वाक्य
- कालचक्र तो बिना आहट , बिना किसी को सूचित किये, स्वार्थ अस्वार्थ
- काल चक्र तो बिना आहट , बिना किसी को सूचित किये, स्वारंथ अस्वार्थ के दायरे के बाहर, दुख सुख की परंपरा को टोड़ता हुआ आगे बढता रहता है और ज़िंदगी के सफर में कहीं न कहीं कोई वक़्त जरूर दोहराया जाता है जहाँ तन्हाई का आलम इन्सान को घेर लेता है, जहाँ वह मकानों की भाँय भाँय करती दीवारों से पगलों की तरह बात करना उस आदमी की बेबसी बन जाती है.
- काल चक्र तो बिना आहट , बिना किसी को सूचित किये, स्वारंथ अस्वार्थ के दायरे के बाहर, दुख सुख की परंपरा को टोड़ता हुआ आगे बढता रहता है और ज़िंदगी के सफर में कहीं न कहीं कोई वक़्त जरूर दोहराया जाता है जहाँ तन्हाई का आलम इन्सान को घेर लेता है, जहाँ वह मकानों की भाँय भाँय करती दीवारों से पगलों की तरह बात करना उस आदमी की बेबसी बन जाती है.
- काल चक्र तो बिना आहट , बिना किसी को सूचित किये, स्वार्थ अस्वार्थ के दायरे के बाहर, दुख सुख की परंपरा को टोड़ता हुआ आगे बढ़ता रहता है और ज़िंदगी के सफ़र में कहीं न कहीं कोई वक़्त जरूर दोहराया जाता है जहाँ तन्हाई का आलम इन्सान को घेर लेता है, जहाँ वह मकानों की भाँय भाँय करती दीवारों से पगलों की तरह बात करना उस आदमी की बेबसी बन जाती है.
- काल चक्र तो बिना आहट , बिना किसी को सूचित किये , स्वारंथ अस्वार्थ के दायरे के बाहर , दुख सुख की परंपरा को टोड़ता हुआ आगे बढता रहता है और ज़िंदगी के सफर में कहीं न कहीं कोई वक़्त जरूर दोहराया जाता है जहाँ तन्हाई का आलम इन्सान को घेर लेता है , जहाँ वह मकानों की भाँय भाँय करती दीवारों से पगलों की तरह बात करना उस आदमी की बेबसी बन जाती है .