अहुठ का अर्थ
[ ahuth ]
अहुठ उदाहरण वाक्य
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- अहुठ हाथ तन सरवर , हिया कवल तेहि माँझ।
- इसी प्रकार अहुठ = सं . अर्धचतुर 1
- अहुठ - अनुत्थ , न उठने योग्य।
- अहुठ हाथ तन सरवर , हिया कवल तेहि माँझ।
- सुधाकरी अर्थ-राजा कहता है कि ( मेरा) हाथ तो अहुठ अर्थात् शक्ति के लग जाने
- प्रा . अज्हुट्ठ , अहवे = हिं . अहुठ ( साढ़े तीन , ' हूँठा ' शब्द इसी से बना है ) ।
- प्रा . अज्हुट्ठ , अहवे = हिं . अहुठ ( साढ़े तीन , ' हूँठा ' शब्द इसी से बना है ) ।
- सुधाकरी अर्थ - राजा कहता है कि ( मेरा ) हाथ तो अहुठ अर्थात् शक्ति के लग जाने से सामर्थ्यहीन हो कर बेकाम हो गया और ( मेरा ) तनु सरोवर है जिसके हृदय मध् य अर्थात् बीच में कमल अर्थात् पद्मावती बसी हुई है।
- पदमावत में ' दिनअर ' , ' ससहर ' , ' अहुठ ' , ' भुवाल ' , ' बिसहर ' , ' पुहुमी ' आदि शब्दों का प्रयोग तथा प्राकृत अपभ्रंश की पुरानी प्रथा के अनुसार ' हि ' विभक्ति का सब कारकों में व्यवहार देख यह दृढ़ अनुमान होता है कि जायसी ने किसी से भाषा - काव्य - परम्परा की जानकारी प्राप्त की थी।
- पदमावत में ' दिनअर ' , ' ससहर ' , ' अहुठ ' , ' भुवाल ' , ' बिसहर ' , ' पुहुमी ' आदि शब्दों का प्रयोग तथा प्राकृत अपभ्रंश की पुरानी प्रथा के अनुसार ' हि ' विभक्ति का सब कारकों में व्यवहार देख यह दृढ़ अनुमान होता है कि जायसी ने किसी से भाषा - काव्य - परम्परा की जानकारी प्राप्त की थी।