आत्म-कहानी का अर्थ
[ aatem-khaani ]
आत्म-कहानी उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- किसी का जीवनचरित्र जो उसने स्वयं लिखा हो:"गाँधीजी की आत्मकथा पढ़कर मैं बहुत प्रभावित हुआ"
पर्याय: आत्मकथा, आत्म-कथा, आत्म कथा, आत्मचरित्र, आत्म-चरित्र, आत्म चरित्र, आत्म कहानी, आत्मकहानी, आत्मवृत्तांत, आत्मवृत्तान्त, आत्मवृत्त, आत्मवृत्त
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- पौरुष की हो प्रखर निशानी , तेरी आत्म-कहानी,
- आत्म-कहानी - एक विवेचन- -कल्याण सिंह पाँगती - भाग- 4
- शिक्षा-विभाग के दो हिन्दू हेडमास्टर , और एक इस आत्म-कहानी का लेखक।
- बाबू रामसिंह जी की “ आत्म-कहानी ” जो एक प्रबल प्रेरणा वर्तमान शौका पीढ़ी को प्रदान करती है वह है “
- जिन्होने अभी उसे नहीं पढ़ा है उन्हे भी इसे सही मायनों में समझने का अवसर प्रदान होगा - आत्म-कहानी - एक विवेचन- -कल्याण सिंह पाँगती- भाग- 1
- आत्म-कहानी से एसा प्रतीत होता है कि सुदूर क्षेत्र में एक बार अन्य स्थानों की तरह सुधारवादी आर्य समाज का खूब प्रचार हुवा ( जोहार में हिन्दू धर्म का प्रादुर्भाव पहिले ही हो चुका था ) और उस्में काफी लोग प्रभावित भी हुये।
- स् व . श्री राम सिंह पाँगती ( जिन्हे उनके लिखने पढ़ने में विशेष रुचि के कारण आम तौर पर बाबू रामसिंह और स्थानीय तौर पर राम बौबू कहा जाता था ) ने अपनी आत्म-कहानी ( जिसे जोहार सांस्कृतिक संगठन , लखनऊ द्वारा मई , 1984 में प्रकाशित किया गया है ) में एक विचारक एंव चिंतक होने के नाते यही किया है।
- आत्म-कहानी ” के भूमिका में जोहार के इतिहास को चार भागैं में ( पहिला हल्दुवा- पंगलुवा आदिवासी जमाना , दूसरा सुनपति शौका एवं चन्द राजाओं का जमाना , तीसरा नये जोहारियों और गोरखालियों का जमाना , चौथा अंग्रेजों के जमाने का जोहार ) विभक्त करते हुये पाँचवे जमाने में प्रजातंत्र स्वराज के आरंम्भ की कल्पना की है “ जब जनता शिक्षित और संगठित होगी।