आस्वादनीय का अर्थ
[ aasevaadeniy ]
आस्वादनीय उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषण- आस्वादन करने या चखने या स्वाद लेने योग्य:"ये खाद्य तो देखकर ही आस्वादनीय नहीं लगते"
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- चतुर्थ सर्ग में उषा-वर्णन का माधुर्य विशेष आस्वादनीय है ।
- पारम्परिक सांस्कृतिक प्रवाह में सम्मिलित प्रदूषित तत्वों को छानकर उसे मध्यकाल के लिए ही आस्वादनीय नहीं , बल्की आधुनिक जनमानस के लिए भी उपयोगी बना दिया।
- मन्त्रार्थ- हे सर्वरक्षक परमेश्वर आप सर्वव्यापक , सर्वप्रकाशस्वरूप एवं प्रकाशक, उपासकों द्वारा रसनीय, आस्वादनीय, आनन्द हेतु उपासनीय, नाशरिहत, अखण्ड, अजरअमर, सबसे महान, प्राणाधार और सतस्वरूप, दुखों को दूर करने वाले और चितस्वरूप, सुखस्वरूप एवं सुखप्रदाता और आनन्दस्वरूप, सबके रक्षा करनेवाले हैं।
- मन्त्रार्थ- हे सर्वरक्षक परमेश्वर आप सर्वव्यापक , सर्वप्रकाशस्वरूप एवं प्रकाशक , उपासकों द्वारा रसनीय , आस्वादनीय , आनन्द हेतु उपासनीय , नाशरिहत , अखण्ड , अजरअमर , सबसे महान , प्राणाधार और सतस्वरूप , दुखों को दूर करने वाले और चितस्वरूप , सुखस्वरूप एवं सुखप्रदाता और आनन्दस्वरूप , सबके रक्षा करनेवाले हैं।
- मन्त्रार्थ- हे सर्वरक्षक परमेश्वर आप सर्वव्यापक , सर्वप्रकाशस्वरूप एवं प्रकाशक , उपासकों द्वारा रसनीय , आस्वादनीय , आनन्द हेतु उपासनीय , नाशरिहत , अखण्ड , अजरअमर , सबसे महान , प्राणाधार और सतस्वरूप , दुखों को दूर करने वाले और चितस्वरूप , सुखस्वरूप एवं सुखप्रदाता और आनन्दस्वरूप , सबके रक्षा करनेवाले हैं।
- स्वरों के अपने अपने स्थानों में पहुँच जाने से , कुछ अध्कि स्पता से सुनाई देने वाला, म ुल वीणा के स्वर व ताल के क्रम से युत्तफ, अनेक प्रकार के रागों से रि त, श्रृारादि नवों रसों से मध्ुर, मध्ुर स्तोत्राों से संयुत्तफ, शिव तथा पार्वती के द्वारा भी अमृत की तरह आस्वादनीय, वीणापाणि महखष नारद का वह अव्यत्तफ व ललित संगीत, हमारे कानों का आभरण बने,