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इस्तेदाद का अर्थ

[ isetaad ]
इस्तेदाद उदाहरण वाक्य

परिभाषा

संज्ञा
  1. ज्ञान, अनुभव, शिक्षा आदि की दृष्टि से वह विशेषता या गुण जिसके आधार पर कोई किसी कार्य या पद के लिए उपयुक्त समझा जाता है:"प्रतियोगी परीक्षाओं के द्वारा विद्यार्थियों की योग्यता परखी जाती है"
    पर्याय: योग्यता, क़ाबिलियत, काबिलियत, क़ाबिलीयत, काबिलीयत, उपयुक्तता, सामर्थ्य, लियाकत, लियाक़त, हुनर, सलीका, सलीक़ा, माद्दा, क्षमता, अर्हता, इल्मीयत

उदाहरण वाक्य

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  1. पर इस विषय की बहुत मोटी मोटी बातें बहुत मोटे तौर पर कही गई हैं , जैसे , इससे स्पष्ट है कि किसी किसी में कविता लिखने की इस्तेदाद स्वाभाविक होती है , ईश्वरदत्ता होती है।
  2. ग ) अल्लाह की कभी ख़त्म न होने वाली रहमत इस बात का तक़ाज़ा करती है कि उसका फ़ैज़ और नेअमतें इंसान के मरने के बाद भी कतअ न हों बल्कि इस्तेदाद रखने वाले अफ़राद का तकामुल उसी तरह होता रहे।
  3. और उन की हालत को उस औरत से तशबीह ( उपमा ) दी है जिस में यह पांच वस्फ़ ( गुण ) हों - वह हामिला ( गर्भवती ) हो , इस से मुराद ( अभिप्राय ) यह है कि यह लोग लड़ने भिड़ने की पूरी पूरी सलाहीयत व इस्तेदाद ( योग्यता एंव सामर्थ्य ) रखते थे , उस बांझ औरत के मानिन्द ( समान ) न थे कि जिस से कोई उम्मीद नहीं रखी जा सकती।
  4. इम्तेहान और आज़माइशे इलाही से मुराद पोशीदा असरार व रुमूज़ को मालूम करना नही है बल्कि इस से मुराद इंसानों की इस्तेदाद व सलाहियत को रुश्द व तरक़्क़ी देने के मवाक़े फ़राहम करना है और इंसानों की आज़माइश व इम्तेहान यह है कि वह अच्छाई व बुराई के रास्ते को मुन्तख़ब करने के तमाम रास्तों को इंसानों के सामने रख दे का कि वह उन की मदद से अपनी इस्तेदाद व सलाहियत को रुश्द व तरक़्क़ी दे और सही रास्ते का इंतेख़ाब करे।
  5. इम्तेहान और आज़माइशे इलाही से मुराद पोशीदा असरार व रुमूज़ को मालूम करना नही है बल्कि इस से मुराद इंसानों की इस्तेदाद व सलाहियत को रुश्द व तरक़्क़ी देने के मवाक़े फ़राहम करना है और इंसानों की आज़माइश व इम्तेहान यह है कि वह अच्छाई व बुराई के रास्ते को मुन्तख़ब करने के तमाम रास्तों को इंसानों के सामने रख दे का कि वह उन की मदद से अपनी इस्तेदाद व सलाहियत को रुश्द व तरक़्क़ी दे और सही रास्ते का इंतेख़ाब करे।
  6. इम्तेहान और आज़माइशे इलाही से मुराद पोशीदा असरार व रुमूज़ को मालूम करना नही है बल्कि इस से मुराद इंसानों की इस्तेदाद व सलाहियत को रुश्द व तरक़्क़ी देने के मवाक़े फ़राहम करना है और इंसानों की आज़माइश व इम्तेहान यह है कि वह अच्छाई व बुराई के रास्ते को मुन्तख़ब करने के तमाम रास्तों को इंसानों के सामने रख दे का कि वह उन की मदद से अपनी इस्तेदाद व सलाहियत को रुश्द व तरक़्क़ी दे और सही रास्ते का इंतेख़ाब करे।
  7. इम्तेहान और आज़माइशे इलाही से मुराद पोशीदा असरार व रुमूज़ को मालूम करना नही है बल्कि इस से मुराद इंसानों की इस्तेदाद व सलाहियत को रुश्द व तरक़्क़ी देने के मवाक़े फ़राहम करना है और इंसानों की आज़माइश व इम्तेहान यह है कि वह अच्छाई व बुराई के रास्ते को मुन्तख़ब करने के तमाम रास्तों को इंसानों के सामने रख दे का कि वह उन की मदद से अपनी इस्तेदाद व सलाहियत को रुश्द व तरक़्क़ी दे और सही रास्ते का इंतेख़ाब करे।


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  2. इस्तिखारा
  3. इस्तिरी
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  5. इस्तीफा
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  7. इस्तेमाल करना
  8. इस्तेमाली
  9. इस्त्री
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