ईद-उल-ज़ुहा का अर्थ
[ eed-ul-jeuhaa ]
ईद-उल-ज़ुहा उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- मुसलमानों का एक त्योहार जो जिलहिल मास की दसवीं तारीख को होता है:"बक़रीद के दिन बकरे को हलाल किया जाता है"
पर्याय: बक़रीद, ईदुलज़ुहा, ईद-उल-जुहा, ईदुलजुहा, ईदुल अज़्हा, बक़रा-ईद, ईद-उल-अजहा, बक़्रईद, बक्रईद, बकरीद, बक़र-ईद, बकर-ईद, बक़र ईद, बकर ईद
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- जहाँ तक बात ईद-उल-ज़ुहा अर्थात बकराईद पर ऐतराज़ की है , तो सभी तरह के एतराज़ का जवाब पहले ही दिया जा चूका है।
- ईद-उल-ज़ुहा ( बकराईद) का मौका आते ही मांसाहार के खिलाफ विवादित लेख लिखे जाने शुरू हो जाते हैं और ऐसा साल-दर-साल चलता आ रहा है।
- मुसलमानों के त्यौहार ईद-उल-ज़ुहा की नमाज़ अदा करने के बाद जब जमाल लोगों को बधाई दे रहे थे उसी वक्त ये बम फट गया।
- जहाँ तक बात ईद-उल-ज़ुहा अर्थात बकराईद पर ऐतराज़ की है , तो सभी तरह के एतराज़ का जवाब पहले ही दिया जा चूका है।
- जो कि कई तरह की होती है जैसे इमदाद के लिए जानवर की कुर्बानी , सदके के लिए कुर्बानी और ईद-उल-ज़ुहा ( बकराईद ) पर कुर्बानी इत्यादि।
- ईद-उल-ज़ुहा कुर्बानी का त्यौहार है , क्योंकि मांस अक्सर मुसलमानों के द्वारा भोजन के तौर पर प्रयोग किया जाता है, इसलिए इस दिन बकरा, भेड़, ऊंट इत्यादि जानवरों का मांस अपने घरवालों, गरीब रिश्तेदारों तथा अन्य गरीबों में बांटा जाता है।
- मैंने पहले अपनी एक पोस्ट में भी बताया था कि अगर बात कुर्बानी की करें तो इसमें एक बात तो यह है कि मुसलमान कुर्बानी केवल ईद-उल-ज़ुहा ( बकराईद ) पर ही नहीं बल्कि आम जीवन में अक्सर करते रहते हैं।
- ईद-उल-ज़ुहा कुर्बानी का त्यौहार है , क्योंकि मांस अक्सर मुसलमानों के द्वारा भोजन के तौर पर प्रयोग किया जाता है , इसलिए इस दिन बकरा , भेड़ , ऊंट इत्यादि जानवरों का मांस अपने घरवालों , गरीब रिश्तेदारों तथा अन्य गरीबों में बांटा जाता है।
- @ चंदन जी ! हरेक ऐतराज़ का जवाब मुस्लिम ब्लॉगर्स की तरफ़ से दिया जा चुका है , देखिए एक पोस्ट और उसका लिंक : ईद-उल-ज़ुहा ( बकराईद ) का मौका आते ही मांसाहार के खिलाफ विवादित लेख लिखे जाने शुरू हो जाते हैं और ऐसा साल-दर-साल चलता आ रहा है।
- @ चंदन जी ! हरेक ऐतराज़ का जवाब मुस्लिम ब्लॉगर्स की तरफ़ से दिया जा चुका है , देखिए एक पोस्ट और उसका लिंक : ईद-उल-ज़ुहा ( बकराईद ) का मौका आते ही मांसाहार के खिलाफ विवादित लेख लिखे जाने शुरू हो जाते हैं और ऐसा साल-दर-साल चलता आ रहा है।