उछंग का अर्थ
[ uchhenga ]
उछंग उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- बैठे हुए व्यक्ति के सामने की कमर और घुटनों के बीच का भाग जिसमें बच्चे आदि को लिया जाता है और अधिकतर अपने पेट, सीने आदि से सटाया जाता है:"माँ बच्ची को गोद में बैठाकर खाना खिला रही है"
पर्याय: गोद, गोदी, क्रोड़, अँकवार, अंक, अंकोर, अँकोर, अँकौर, अंकौर, अँकोरी, अंकोरी, अकोर, अकोरी, अङ्क, अवछंग, पालि - छाती के अंदर बायीं ओर का एक अवयव जिसके स्पन्दन से सारे शरीर की नाड़ियों में रक्त-संचार होता रहता है:"हृदय प्राणियों का महत्वपूर्ण अंग है"
पर्याय: हृदय, कलेजा, करेजा, दिल, हिय, जिगर, उर, मर्म स्थल, मर्म, जिया, जियरा, ही, अवछंग, असह, उअर, हार्ट - खड़े हुए मनुष्य के वक्षस्थल और कमर के बीच का वह स्थान जिस पर बच्चों को बैठाकर हाथ के घेरे से सँभाला जाता है:"यह बच्चा गोद से उतरना ही नहीं चाहता है"
पर्याय: गोद, गोदी, क्रोड़, अँकवार, अंक, अंकोर, अँकोर, अँकौर, अंकौर, अँकोरी, अंकोरी, अकोर, अकोरी, अङ्क, अवछंग, पालि
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- राम की उछंग बैठ , भाग्य लिख लीजिये।।
- चत्रभुज़प्रभू गिरिधरकी बतियाँ , सुनके उछंग पयपान करावे ॥३॥
- ‘चतुर्भुज ' प्रभु गिरिधर की बतियाँ, सुन ले उछंग पय पान करावें ॥३॥
- गोद ( सं . ) [ सं-स्त्री . ] 1 . अंक ; क्रोड़ ; उछंग 2 . वक्षस्थल व उदर के बीच का वह भाग , जो एक या दोनों हाथों का घेरा बनाने से बनता है जिसमें प्रायः शिशु को लिया जाता है 3 .
- गोद ( सं . ) [ सं-स्त्री . ] 1 . अंक ; क्रोड़ ; उछंग 2 . वक्षस्थल व उदर के बीच का वह भाग , जो एक या दोनों हाथों का घेरा बनाने से बनता है जिसमें प्रायः शिशु को लिया जाता है 3 .
- ( रचना तिथिः 27-07-1983)भंग की तरंग मेंपंख बिना उड़ जाऊँ उल्लू के संब में,बहुरंगी चाल चलूँ गिरगिट के रंग में,सिकन्दर को पछाड़ूं हिटलरी उमंग में,झूम झूम उछलूंगा अनोखे ढंग में।ठहाके लहाऊंगा प्रसंग-अप्रसंग में,बातें खूब करूंगा भोले के संग में,अति भोजन कर लूंगा भूख के उछंग में,पेड़े-बर्फी-लड्डू नाचेंगे अंग में।