कँपना का अर्थ
[ kenpenaa ]
कँपना उदाहरण वाक्य
परिभाषा
क्रिया- शरीर में एक प्रकार की सिहरन महसूस होना:"ठंड के कारण उसका शरीर काँप रहा है"
पर्याय: काँपना, कंपित होना, कंपन होना, कम्पित होना, कम्पन होना, कांपना, कंपना, थरथराना, सिहरना, थर-थर करना, थरथर करना, लरजना - / मासूम दोस्त की निर्मम हत्या देखकर बच्चों का जी थरथरा गया"
पर्याय: थरथराना, थर्राना, थरहराना, दहलना, काँपना, कंपित होना, कंपन होना, कम्पित होना, कम्पन होना, कांपना, कंपना, लरजना, थर-थर करना, थरथर करना - प्रायः अनियंत्रित रूप से तेज़ी से आगे-पीछे या दाएँ-बाएँ होना:"तेज़ रफ़्तार से चल रही गाड़ी के सामने से गुज़रने पर कम रफ़्तार से चल रही गाड़ी काँपती है"
पर्याय: काँपना, कंपित होना, कंपन होना, कम्पित होना, कम्पन होना, कांपना, कंपना
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- तुम्हारी पलकों का कँपनातुम्हारी पलकों का कँपना ।
- तड़पती हूक , अन्तर का भूचाल, देंह की धरित्रि का कँपना - देख न सके ”
- तनिक-सा चमक खुलना , फिर झँपना ।तुम्हारी पलकों का कँपना ।मानो दीखा तुम्हें किसी कली केखिलने का सपना ।
- तुम्हारी पलकों का कँपना ।सपने की एक किरण मुझको दो ना , है मेरा इष्ट तुम्हारे उस सपने का कण होना,और सब समय पराया हैबस उतना क्षण अपना ।तुम्हारीपलकों का कँपना ।
- तुम्हारी पलकों का कँपना ।सपने की एक किरण मुझको दो ना , है मेरा इष्ट तुम्हारे उस सपने का कण होना,और सब समय पराया हैबस उतना क्षण अपना ।तुम्हारीपलकों का कँपना ।
- विद्युत की 12 शक्तियाँ विमान की 12 प्रकार की गतियों के लिए आवश्यक मानी गई है-चलना , कँपना , उर्ध्वा , अधरा , मंडला , वेगिनी , अनुलोमा , तिर्यची , परामुखी , विलोमा , स्तंभना तथा चित्रा।
- विद्युत की 12 शक्तियाँ विमान की 12 प्रकार की गतियों के लिए आवश्यक मानी गई है-चलना , कँपना , उर्ध्वा , अधरा , मंडला , वेगिनी , अनुलोमा , तिर्यची , परामुखी , विलोमा , स्तंभना तथा चित्रा।
- वह यह जल्दी नहीं समझ सकता कि उजड़े स्वर्ग का कँपना है सन् 1857 की हलचल का पूरब से बढ़ते बढ़ते दिल्ली तक पहुँचना , नासूर है बहादुरशाह, नासूर का निकलना है बहादुरशाह का लाल किला छोड़ना और भूडोल और अन्धड़ है दिल्ली पर कब्जा करनेवाले बलवाइयों के साथ अंगरेजों का घोर युध्द।
- बरसों के बाद उसी सूने- आँगन में जाकर चुपचाप खड़े होना रिसती-सी यादों से पिरा-पिरा उठना मन का कोना-कोना कोने से फिर उन्हीं सिसकियों का उठना फिर आकर बाँहों में खो जाना अकस्मात् मण्डप के गीतों की लहरी फिर गहरा सन्नाटा हो जाना दो गाढ़ी मेंहदीवाले हाथों का जुड़ना , कँपना, बेबस हो गिर जाना रिसती-सी यादों से पिरा-पिरा उठना मन को कोना-कोना बरसों के बाद उसी सूने-से आँगन में जाकर चुपचाप खड़े होना ! -धर्मवीर भारती उत्तर नहीं हूँ मैं
- बरसों के बाद उसी सूने- आँगन में जाकर चुपचाप खड़े होना रिसती-सी यादों से पिरा-पिरा उठना मन का कोना-कोना कोने से फिर उन्हीं सिसकियों का उठना फिर आकर बाँहों में खो जाना अकस्मात् मण्डप के गीतों की लहरी फिर गहरा सन्नाटा हो जाना दो गाढ़ी मेंहदीवाले हाथों का जुड़ना , कँपना, बेबस हो गिर जाना रिसती-सी यादों से पिरा-पिरा उठना मन को कोना-कोना बरसों के बाद उसी सूने-से आँगन में जाकर चुपचाप खड़े होना ! -धर्मवीर भारती उत्तर नहीं हूँ मैं