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कुँई का अर्थ

[ kune ]
कुँई उदाहरण वाक्य

परिभाषा

संज्ञा
  1. एक तरह का जलीय पौधा जिसमें कमल की तरह के सफेद पर छोटे फूल लगते हैं:"यह तालाब कुमुद से भरा हुआ है"
    पर्याय: कुमुद, कुमुदिनी, कुमुदनी, कुंई, कुईं, कोका, प्रफुला, प्रफुल्ला, चंद्रबंधु, चन्द्रबन्धु, कुमोदनी, निशापुष्प, कैरव, शशिकांत, शशिकान्त, शशिप्रभ

उदाहरण वाक्य

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  1. या शरद के भोर की नीहार-न्हायी कुँई ,
  2. वेणा में खोंसे काँस , कान में कुँई लसित ।
  3. लेकिन कुँई , जो जिप्सम बेल्ट को काम में लेती है,
  4. जिन स्थानों पर पानी इकट्ठा किया जाता है उन्हे टांका और कुँई नाम दिया गया है।
  5. अगर मैं तुम को ललाती साँझ के नभ की अकेली तारिका अब नहीं कहता , या शरद के भोर की नीहार-न्हायी कुँई , टटकी कली चम्पे की , वगैरह , तो नहीं कारण कि मेरा हृदय उथला या सूना है या कि मेरा प्यार मैला है।
  6. नयी परिस्थितियों ' प्रेम' की अभिव्यक्ति के उदाहरण के तौर पर एक जमाने में अज्ञेय की 'कलगी बाजरे की' कविता पेश की जाती थी-'अगर मैं तुमको ललाती साँझ के नभ की अकेली तारिका अब नहीं कहता या शरद के भोर की नीहार-न्हायी कुँई, टटकी कली चम्पे की, वगैरह, तो नहीं कारण कि मेरा हृदय उथला या कि सूना है या कि मेरा प्यार मैला है।
  7. ' बिछलीघास' हरीतिमा, तनुता, कोमलता और जिजीविषा की ओर संकेत करती है तो 'कलंगी बाजरे की' छरहरी प्रिया का झूमता हुआ बिम्ब प्रस्तुत करती है- 'हरी बिछली घास।' दोलती कलगी छरहरी बाजरे की।' वे प्रिया को ललाती सांझ के नभ की अकेली तारिका नहीं कहना चाहते, शरद के भोर की नीहार-न्हायी कुँई और चम्पे की टटकी कली भी नहीं कहना चाहते क्योंकि ये उपमान मैले हो गए हैं।
  8. ' बिछलीघास' हरीतिमा, तनुता, कोमलता और जिजीविषा की ओर संकेत करती है तो 'कलंगी बाजरे की' छरहरी प्रिया का झूमता हुआ बिम्ब प्रस्तुत करती है- 'हरी बिछली घास।' दोलती कलगी छरहरी बाजरे की।' वे प्रिया को ललाती सांझ के नभ की अकेली तारिका नहीं कहना चाहते, शरद के भोर की नीहार-न्हायी कुँई और चम्पे की टटकी कली भी नहीं कहना चाहते क्योंकि ये उपमान मैले हो गए हैं।
  9. ( जैसे रात्रि में कमल संकुचित हो जाते हैं , वैसे ही श्री प्राप्त होने पर सत्कर्मों का ह्रास हो जाता है ) , दुःख रूपी कुँई ( कमलिनी ) के लिए चन्द्रिका ( चाँदनी ) अर्थात् जैसे चाँदनी में कमलिनी ( नीलोत्पल ) विकसित होती है , वैसे ही श्री के प्राप्त होने पर दुःखों का खूब विकास होता है और दयादृष्टिरूपी या परमार्थदृष्टिरूपी दीपक के लिए झकझोर वायु और बड़ी-बड़ी तरंगों से युक्त नदी हैं।


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