घ्राणेंद्रिय का अर्थ
[ gheraanenedriy ]
घ्राणेंद्रिय उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञाउदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- घ्राणेंद्रिय - इसका अंग नासा है।
- घ्राणेंद्रिय - इसका अंग नासा है।
- विशेष प्रकार का क्षोभ घ्राणेंद्रिय और रसनेंद्रिय में होता है उसकी
- घ्राणेंद्रिय से गंध का ग्रहण होता है , इससे वह पृथ्वी से बनी है।
- से प्यार न करता हो तो उसके घ्राणेंद्रिय में स्वर्ग की सुगन्ध भी नहीं पहुँच सकती है और वह कदापि स्वर्ग में नहीं जाएगा।
- , गंधों का ज्ञान घ्राणेंद्रिय ( सून्घकर- स्मेलिन्ग ) तथा शीत , उष्ण , रूक्ष , स्निग्ध एवं नाड़ी आदि के स्पंदन आदि भावों का ज्ञान स्पर्शेंद्रिय ( छू कर- फ़ीलिन्ग ) द्वारा प्राप्त करना चाहिए।
- आम तौर पर माना जाता है कि सोते हुए व्यक्ति में घ्राणेंद्रिय सुप्त रहती है मगर इस प्रयोग में देखा गया कि प्रिय गंध आने पर प्रतिभागी गहरी साँस लेते थे जबकि गंध अप्रिय होने पर वे उथली साँस लेते थे।
- इन सूक्ष्म अवयवों में पंचमहाभूतों में से उस महाभूत की विशेषता रहती है जिसके शब्द ( ध्वनि) आदि विशिष्ट गुण हैं; जैसे शब्द के लिए श्रोत्र इंद्रिय में आकाश, स्पर्श के लिए त्वक् इंद्रिय में वायु, रूप के लिए चक्षु इंद्रिय में तेज, रस के लिए रसनेंद्रिय में जल और गंध के लिए घ्राणेंद्रिय में पृथ्वी तत्व।
- इन सूक्ष्म अवयवों में पंचमहाभूतों में से उस महाभूत की विशेषता रहती है जिसके शब्द ( ध्वनि) आदि विशिष्ट गुण हैं; जैसे शब्द के लिए श्रोत्र इंद्रिय में आकाश, स्पर्श के लिए त्वक् इंद्रिय में वायु, रूप के लिए चक्षु इंद्रिय में तेज, रस के लिए रसनेंद्रिय में जल और गंध के लिए घ्राणेंद्रिय में पृथ्वी तत्व।