तितिक्षु का अर्थ
[ titikesu ]
तितिक्षु उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषण- क्षमा करनेवाला:"क्षमा दाता व्यक्ति भगवान का रूप होता है"
पर्याय: क्षमा दाता, क्षमावान, क्षमा कर्ता, क्षमाशील
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- वह असंग , अनासक्त, निर्वैर, निर्मम, निरहंकार, सुख- दुख में समान, क्षमी, निर्लोभ, यतात्मा दृढ़निश्चय, संयमी, तितिक्षु, अनपेक्ष होता है।
- इसी चंद्रवंश में राजा अणु के पुत्र तितिक्षु ने आणव राज्य की स्थापना की थी , जिसे पुराणों में प्राच्य राज्य की संज्ञा दी गई है।
- वह असंग , अनासक् त , निर्वैर , निर्मम , निरहंकार , सुख-दुख में समान , क्षमी , निर्लोभ , यतात् मा दृढ़निश् चय , संयमी , तितिक्षु , अनपेक्ष होता है।
- वह असंग , अनासक् त , निर्वैर , निर्मम , निरहंकार , सुख-दुख में समान , क्षमी , निर्लोभ , यतात् मा दृढ़निश् चय , संयमी , तितिक्षु , अनपेक्ष होता है।
- हरिद्वार की पवित्र भूमि एवं पतित पावनी माँ गंगा के तट पर , विलक्षण प्रतिभा के धनी एवं ब्रह्मानिष्ठ, तितिक्षु सन्यासी, परम पूज्य स्वामी कृपालु देव जी महाराज ने सन् 1932 में विश्व ज्ञान मंदिर की स्थापना की, जो बाद में कृपालु बाग के नाम से विख्यात हुआ।
- श्रीमद्भागवत महापुराणमें स्वयं भगवान इस संदर्भ में प्रकाश डालते हुए कहते हैं- संत सब पर दया करने वाला , किसी से भी द्रोह न करने वाला, परनिंदा आदि दोषों से रहित, सुख-दु:ख में समान भाव वाला, तितिक्षु, सत्यवादी, सबका उपकार करने वाला, विषयों से विचलित न होने वाला, जितेंद्रिय, कोमल चित्त, पवित्र, अकिंचन, निष्कामी,स्वल्प भोजन करने वाला, शांत, स्थिर, भगवत्परायण,मननशील,सावधान, गंभीर, संकट में भी धैर्य रखने वाला, भूख, प्यास, शोक, मोह, जरा और मृत्यु इन छहों विकारों पर विजयी, मान न चाहने वाला, दूसरों को मान देने वाला, दक्ष, सबसे मैत्री रखने वाला, कारुणिक और ज्ञानवान होता है।