तुषित का अर्थ
[ tusit ]
तुषित उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- स्वायंभुव मन्वंतर के विष्णु से उत्पन्न एक प्रकार के देवता:"भद्र का वर्णन पुराणों में मिलता है"
पर्याय: भद्र
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- एक तुषित देव का नाम भगवान है।
- “ब्रrााण्डपुराण” के अनुसार- तुषित देवगण को भी भगवान कहा गया है।
- ये तुषित स्वर्ग में बुद्धत्व की प्राप्ति के हेतु प्रतत्नशीन हैं , ऐसी बौद्धों की मान्यता है।
- यह वही स्थान है जहाँ पर वसुबंधु बोधिसत्व तुषित [ 60] स्वर्ग से उतरकर असङ्ग़ बोधिसत्व से मिलते थे।
- यह वही स्थान है जहाँ पर वसुबंधु बोधिसत्व तुषित [ 91 ] स्वर्ग उतरकर असङ्ग़ बोधिसत्व से मिलते थे।
- ↑ प्राचीन काल में बौद्धों की यह इच्छा रहती कि वे लोग मृत्यु के पश्चात् तुषित स्वर्ग में मैत्रेय के निकट निवास करें।
- उत्तम निर्माणकाय के रूप में राजा शुद्धोदन के पुत्र होने के पहले बुद्ध तुषित क्षेत्र में देवपुत्र सच्छ्वेतकेतु के रूप में उत्पन्न हुए थें उनका यह जन्म नैर्याणिक निर्माणकाय का उदाहरण है।
- यदि और गहराई में चले तो दस विश्वेदेव , छत्तीस तुषित , चौसठ आभास्वर , उनचास वायु और दो सौ बीस महाराजिक मिलकर कुल चार सौ बारह गण यानि समूह देवताओं के स्वामी श्री गणेश जी महाराज है .
- पौराणिक संदर्भों के अनुसार चाक्षुष मन्वन्तर में तुषित नामक बारह श्रेष्ठगणों ने बारह आदित्यों के रूप में महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से जन्म लिया , जो कि इस प्रकार थे - विवस्वान् , अर्यमा , पूषा , त्वष्टा , सविता , भग , धाता , विधाता , वरुण , मित्र , इंद्र और त्रिविक्रम ( भगवान वामन ) ।
- पांचवीं मात्रा में प्राण त्यागने पर तुषित का रूप लेता है इसी प्रकार छठी मात्रा में इन्द्र , सातवीं में विष्णु भगवान के बैकुण्ठ धाम को , आठवीं में भगवान शिव के लोक को , नौवीं मात्रा में आनन्द लोक को , दसवीं में जनलोक जिसे ध्रुवलोक कहा गया है ग्यारहवीं में तपोलोक को पाता है तथा बारहवीं मात्रा में प्राणों का य्ताग करने पर साधक ब्रह्मलोक को प्राप्त होता है और इसी लोक से अग्नि , चन्द्र व सूर्य जैसे प्रकाश का प्रादुर्भाव हो पाया .