त्विषि का अर्थ
[ tevisi ]
त्विषि उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- ज्योति की वे अति सूक्ष्म रेखाएँ जो प्रवाह के रूप में सूर्य, चंद्र, दीपक आदि प्रज्वलित पदार्थों में से निकलकर फैलती हुई दिखाई देती हैं:"सूरज की पहली किरण से दिन की शुरुआत होती है"
पर्याय: किरण, किरन, विभा, रश्मि, अंशु, मरीचि, मरिचिका, मयूख, ह्रद, केश, शिपि, रोचि, प्रसिति, द्युत्, द्युति, धाम, गभस्ति, चरण, पौ
उदाहरण वाक्य
- तदनुसार विश्वसृष्टि एक महायज्ञ है , जिसमें तपस्या गृहपति , ब्रह्म ( वैदिक ज्ञानराशि ) ब्रह्मा , हरा गृहपत्नी , अमृत उद्गाता , भूतकाल प्रस्तोता , भविष्यत्काल प्रतिहर्ता , ॠतुएँ उपगाता , आर्त्तव वस्तुएँ सदस्य , सत्य होता , ॠत मैत्रावरुण , ओज ब्राह्मणच्छंसी , त्विषि और अपचिति क्रमश : नेष्टा और पोता , यश अच्छावाक , अग्नि अग्नीत् , भग ग्रावस्तुत , अक्र उन्नेता , वाक् सुब्रह्यण्य , प्राण अध्वर्यु , अपान प्रतिप्रस्थाता , दिष्टि विशास्ता , बल ध्रुवगोप , आशा हविष्य , अहोरात्र इध्मवाह और मृत्यु शमितास्वरूप हैं।
- तदनुसार विश्वसृष्टि एक महायज्ञ है , जिसमें तपस्या गृहपति , ब्रह्म ( वैदिक ज्ञानराशि ) ब्रह्मा , हरा गृहपत्नी , अमृत उद्गाता , भूतकाल प्रस्तोता , भविष्यत्काल प्रतिहर्ता , ॠतुएँ उपगाता , आर्त्तव वस्तुएँ सदस्य , सत्य होता , ॠत मैत्रावरुण , ओज ब्राह्मणच्छंसी , त्विषि और अपचिति क्रमश : नेष्टा और पोता , यश अच्छावाक , अग्नि अग्नीत् , भग ग्रावस्तुत , अक्र उन्नेता , वाक् सुब्रह्यण्य , प्राण अध्वर्यु , अपान प्रतिप्रस्थाता , दिष्टि विशास्ता , बल ध्रुवगोप , आशा हविष्य , अहोरात्र इध्मवाह और मृत्यु शमितास्वरूप हैं।