दाँता-किलकिल का अर्थ
[ daanetaa-kilekil ]
दाँता-किलकिल उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- नित्य या बराबर होती रहने वाली कहा-सुनी या झगड़ा:"रामू ने अपने दोनों बच्चों को डाँटते हुए कहा कि मैं तुम दोनों की दाँता-किटकिट से तंग आ चुका हूँ"
पर्याय: दाँता-किटकिट, दाँताकिटकिट, दांता-किटकिट, दांताकिटकिट, दाँताकिलकिल, दांता-किलकिल, दांताकिलकिल - नित्य या बराबर होती रहनेवाली कहा-सुनी या झगड़ा:"पत्नी की किचकिच से परेशान होकर वह घर छोड़कर चला गया"
पर्याय: किचकिच, किच-किच, खिटखिट, किटकिट, खिटपिट, कचकच, कच-कच, खिचखिच, बकझक, झिक-झिक, झिकझिक, चिक-चिक, चिकचिक, दाँता-किटकिट, दाँताकिटकिट, दांता-किटकिट, दांताकिटकिट, दाँताकिलकिल, दांता-किलकिल, दांताकिलकिल, प्रलापन
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- वे एक- दूसरे से दाँता-किलकिल कर रहे हैं
- वे एक- दूसरे से दाँता-किलकिल कर रहे हैं
- सब-कुछ अब धीरे-धीरे खुलने लगा है मत-वर्षा के इस दादुर-शोर में मैंने देखा हर तरफ रंग-बिरंगे झण्डे फहरा रहे हैं गिरगिट की तरह रंग बदलते हुये गुट से गुट टकरा रहे हैं वे एक- दूसरे से दाँता-किलकिल कर रहे हैं एक दूसरे को दुर-दुर , बिल-बिल कर रहे हैं हर तरफ तरह -तरह के जन्तु हैं श्रीमान् किन्तु हैं मिस्टर परन्तु हैं कुछ रोगी हैं कुछ भोगी हैं कुछ हिंजड़े हैं कुछ रोगी हैं तिजोरियों के प्रशिक्षित दलाल हैं आँखों के अन्धे हैं घर के कंगाल हैं गूँगे हैं बहरे हैं उथले हैं,गहरे हैं।
- सब-कुछ अब धीरे-धीरे खुलने लगा है मत-वर्षा के इस दादुर-शोर में मैंने देखा हर तरफ रंग-बिरंगे झण्डे फहरा रहे हैं गिरगिट की तरह रंग बदलते हुये गुट से गुट टकरा रहे हैं वे एक- दूसरे से दाँता-किलकिल कर रहे हैं एक दूसरे को दुर-दुर , बिल-बिल कर रहे हैं हर तरफ तरह -तरह के जन्तु हैं श्रीमान् किन्तु हैं मिस्टर परन्तु हैं कुछ रोगी हैं कुछ भोगी हैं कुछ हिंजड़े हैं कुछ रोगी हैं तिजोरियों के प्रशिक्षित दलाल हैं आँखों के अन्धे हैं घर के कंगाल हैं गूँगे हैं बहरे हैं उथले हैं,गहरे हैं।
- सब-कुछ अब धीरे-धीरे खुलने लगा है मत-वर्षा के इस दादुर-शोर में मैंने देखा हर तरफ रंग-बिरंगे झण्डे फहरा रहे हैं गिरगिट की तरह रंग बदलते हुये गुट से गुट टकरा रहे हैं वे एक- दूसरे से दाँता-किलकिल कर रहे हैं एक दूसरे को दुर-दुर , बिल-बिल कर रहे हैं हर तरफ तरह -तरह के जन्तु हैं श्रीमान् किन्तु हैं मिस्टर परन्तु हैं कुछ रोगी हैं कुछ भोगी हैं कुछ हिंजड़े हैं कुछ रोगी हैं तिजोरियों के प्रशिक्षित दलाल हैं आँखों के अन्धे हैं घर के कंगाल हैं गूँगे हैं बहरे हैं उथले हैं,गहरे हैं।
- सब-कुछ अब धीरे-धीरे खुलने लगा है मत-वर्षा के इस दादुर-शोर में मैंने देखा हर तरफ रंग-बिरंगे झण्डे फहरा रहे हैं गिरगिट की तरह रंग बदलते हुये गुट से गुट टकरा रहे हैं वे एक- दूसरे से दाँता-किलकिल कर रहे हैं एक दूसरे को दुर-दुर , बिल-बिल कर रहे हैं हर तरफ तरह -तरह के जन्तु हैं श्रीमान् किन्तु हैं मिस्टर परन्तु हैं कुछ रोगी हैं कुछ भोगी हैं कुछ हिंजड़े हैं कुछ रोगी हैं तिजोरियों के प्रशिक्षित दलाल हैं आँखों के अन्धे हैं घर के कंगाल हैं गूँगे हैं बहरे हैं उथले हैं , गहरे हैं।