देवजन का अर्थ
[ devejn ]
देवजन उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञाउदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- जैसा अब भी होता है तब भी जन ने देवताओं की शरण ली देवजन को ठिठोली सूझी ( अब भी सूझती है ) ' कोई मनुष्य स्वेच्छा से अपनी बलि दे दुर्भिक्ष समाप्त हो जायेगा ' ।
- ( देवाः ) देवजन , ( यजमानाः ) यज्ञानुष्ठानी , यज्ञशील जन और ( वायु-गोपाः ) प्राणरक्षक जन ( हृदय्यया आकूत्या ) हृदय भावना द्वारा ( श्रद्धाम् श्रद्धाम् ) अभीष्ट को प्राप्त कराने वाली श्रद्धा को ( उपासते ) उपासते हैं।
- नारद ने बताया “ ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद , अथर्ववेद , इतिहास पुराण , पिन्न्य , राशि , दैव निधि , वाक्योवाक्य , एकायन , देवविद्या , ब्रह्मविद्या , भूत विद्या , क्षत्रविद्या , नक्षत्रविद्या , सर्प और देवजन विद्य पढ़ा हूँ।
- हे मनुष्यो ! जिससे देवजन परस्पर पृथक-पृथक नहीं होते और न ही परस्पर विद्वेष करते है अर्थात् जिसको पाकर देव जन सदा संगठित रहते हैं और एक दूसरे को देखकर फूले नहीं समाते , वह परस्पर एकता उत्पन्न करने वाला दिव्य ज्ञान तुम्हारे घर में सबके लिए समान रूप से प्राप्त हो।
- जैसे देवजन ज्ञानी महानुभाव सभी प्रकार से अपने अमरत्व की रक्षा करते हैं अर्थात् जगत् से विदा हो जाने के उपरान्त भी अपने कार्यों से अपने को अमर बनाकर सुदीर्घ काल तक आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत बने रहते है , वैसे ही तुम्हारे इस वैदिक आदर्श परिवार का मूल मन्त्र 'सौमनस' हो।
- सूक्त के उपसंहार में वेद हमें एक सारगर्भित उपदेश देता है , वह यह कि हे परिवार में निवास करने वाले मनुष्यो ! जैसे देवजन ज्ञानी महानुभाव सभी प्रकार से अपने अमरत्व की रक्षा करते हैं अर्थात् जगत् से विदा हो जाने के उपरान्त भी अपने कार्यों से अपने को अमर बनाकर सुदीर्घ काल तक आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत बने रहते है , वैसे ही तुम्हारे इस वैदिक आदर्श परिवार का मूल मन्त्र ” सौमनस ' हो।