नाभक का अर्थ
[ naabhek ]
नाभक उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- एक बड़ा वृक्ष जो लगभग पचास से साठ फुट ऊँचा होता है एवं जिसके फल दवा के काम आते हैं:"हर्र की छाल गहरे भूरे रंग की होती है"
पर्याय: हर्र, हड़, हरड़, हरड़ा, हर्रा, हरितकी, वेष्टा, हरीतकी, शाका, शिवा, अमोघा, हर्रे, दिव्या, विजया, पथ्या, हैमवती, रसायनफला - हल्का हरापन लिए हुए पीले रंग का एक फल जो औषध के काम आता है:"हर्र का उपयोग सूखी खाँसी में भी होता है"
पर्याय: हर्र, हड़, हरड़, हरड़ा, हर्रा, हरितकी, वेष्टा, हरीतकी, शाका, शिवा, अमोघा, पाचनी, हर्रे, मुनिभेषज, दिव्या, विजया, पथ्या, रसायनफला, हैमवती, अव्यथा
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- नाभक , नाभ्पंकित, भोज, पितिनिक, आंध्र और पुलिंद अशोक के राज्य में बसी हुई अन्य जातियाँ थीं।
- जैसे यवन , काम्बोज , नाभक , नाभापंक्ति , भोज , पितनिक , आन्ध्र , पुलिंद ।
- जैसे यवन , काम्बोज , नाभक , नाभापंक्ति , भोज , पितनिक , आन्ध्र , पुलिंद ।
- नाभक , नाभ्पंकित , भोज , पितिनिक , आंध्र और पुलिंद अशोक के राज्य में बसी हुई अन्य जातियाँ थीं।
- यहाँ सम्राट के राज्य में यूनानी , कम्बोज, नाभक, नाभ्पंकित, भोज, पितिनिक, आंध्र और पुलिंद , सभी लोग देवों-के-प्रिय के धर्मनिर्देश का पालन कर रहे हैं।
- क्या बहुत समय पूर्व मधु और कैटभ नाभक दानवों के साथ पाँच हज़ार वर्षों तक लड़कर अंत में उसी शक्ति की सहायता से ही मैंने विजय नहीं पाई ? मैं कभी अपने को स्वतंत्र व्यक्ति नहीं मानता।
- अपनी शिलालेखों में सम्राट ने कई समुदायों का ज़िक्र भी किया जो उनके राज्य की सीमाओं के अन्दर रहते थे : :यहाँ सम्राट के राज्य में यूनानी, कम्बोज, नाभक, नाभ्पंकित, भोज, पितिनिक, आंध्र और पुलिंद, सभी लोग देवों-के-प्रिय के धर्मनिर्देश का पालन कर रहे हैं।
- [ वह धर्मविजय] छ: सौ योजनों तक, जहाँ अंतियोक नामक यवनराज है और उस अंतियोक से परे चार राजा-तुरमय (तुलमय), अंतिकिनी, मक (मग) और अलिकसुन्दर नामक हैं, और नीचे (दक्षिण में) चोड़ पाण्डय एवं ताम्रपर्णियों (ताम्रपर्णीवालों) तक [उपलब्ध हुई है] ऐसे ही यहाँ राजा के विषय (राज्य) में यवनों [और] कांबोजों में, नाभक और नाभपंति (नभिति) में,
- [ वह धर्मविजय ] छ : सौ योजनों तक , जहाँ अंतियोक नामक यवनराज है और उस अंतियोक से परे चार राजा-तुरमय ( तुलमय ) , अंतिकिनी , मक ( मग ) और अलिकसुन्दर नामक हैं , और नीचे ( दक्षिण में ) चोड़ पाण्डय एवं ताम्रपर्णियों ( ताम्रपर्णीवालों ) तक [ उपलब्ध हुई है ] ऐसे ही यहाँ राजा के विषय ( राज्य ) में यवनों [ और ] कांबोजों में , नाभक और नाभपंति ( नभिति ) में ,
- [ वह धर्मविजय ] छ : सौ योजनों तक , जहाँ अंतियोक नामक यवनराज है और उस अंतियोक से परे चार राजा-तुरमय ( तुलमय ) , अंतिकिनी , मक ( मग ) और अलिकसुन्दर नामक हैं , और नीचे ( दक्षिण में ) चोड़ पाण्डय एवं ताम्रपर्णियों ( ताम्रपर्णीवालों ) तक [ उपलब्ध हुई है ] ऐसे ही यहाँ राजा के विषय ( राज्य ) में यवनों [ और ] कांबोजों में , नाभक और नाभपंति ( नभिति ) में ,