पंकजिनी का अर्थ
[ penkejini ]
पंकजिनी उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञाउदाहरण वाक्य
- [ noun]उदाहरण:वह रोज शाम को पंकजिनी के पास बेठा रहता है !+30
- कल्पना की इंतिहा तो तब हो जाती है जब ‘ चन्द्र के भरम , मोद होत है कमोदिन को , ससि शंक , पंकजिनी फूल न सकति है ' ऐसी स्थिति शिशिर के सूर्य की , ‘ सेनापति ' की कविता में होती है।
- कल्पना की इंतिहा तो तब हो जाती है जब ‘ चन्द्र के भरम , मोद होत है कमोदिन को , ससि शंक , पंकजिनी फूल न सकति है ' ऐसी स्थिति शिशिर के सूर्य की , ‘ सेनापति ' की कविता में होती है।
- कवि सेनापति ने शिशिर का वर्णन तो अतिशयोक्ति पूर्ण ढंग से करते हुए ‘ शशि को सरूप पावै सविताऊ ' से लेकर ‘ चन्द के भरम होत मोद है कुमुदियों को , शशि शंक पंकजिनी फूलि न सकति है , ' लिखकर प्रकृति का व्यापार ही बदल दिया , व्यवहार भी।
- अन्य गणमान्य व्यक्तियों में नागरिक कमेटी अध्यक्ष नीलमणि मिश्र , उपाध्यक्ष विष्णु प्रसाद केडिया, पूर्व जिलाधीश रमेश चंद्र नायक, बलांगीर पब्लिक स्कूल की छात्रा स्मरणिका सामल, पृथ्वीराज हाईस्कूल के छात्र नीतीश प्रधान, सुधांशु पंडा, पंकजिनी पंडा, सरस्वती नंद एवं जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. 'योर्तिमयी साहू समेत विभिन्न विभाग के अधिकारी, सचेतन नागरिक एवं नेहरू युवा केंद्र के सदस्य उपस्थित थे।