पंचमूल का अर्थ
[ penchemul ]
पंचमूल उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- एक प्रकार की औषध जो पाचन संबंधी होती है:"पंचमूल कुछ विशेष वनस्पतियों की जड़ों से बनती है"
पर्याय: पञ्चमूल
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- ऊपर से गिलोय , अडूसा तथा पंचमूल का काढ़ा बनाकर पीएं।
- पंचमूल पौधों में औषधीय गुणों की जांच के लिए किया गया पौधरोपण
- सोनापाठा की जड़ की छाल का इस्तेमाल बृहत पंचमूल में किया जाता हैं।
- आचार्य सुश्रुत ने लघुपंचकमूल , कण्टक पंचमूल गणों में गोखरू का उल्लेख किया है ।
- बृहत पंचमूल- अरणी , श्योनाक , पादल की छाल , बेल और गंभारी को बृहत पंचमूल कहते हैं।
- अग्निमंथा का प्रयोग वृहत् पंचमूल तथा दशमूल में होता है एवं श्वांस संस्थान पर इसका कोई प्रभाव नहीं होता ।
- परिचय : इक्षु , कास , शर , दर्भ और कुश इन सभी के बारीक चूर्ण को समान भाग में मिलाकर तृण पंचमूल बनाई जाती है।
- गुण , कर्म संबंधी विभिन्न मत-आचार्य चरक ने शतावर को वल्य और वयः स्थापन मधुर स्कंध बताया है जबकि सुश्रुत इसे कटक पंचमूल तथा पित्तशामक समूह का मानते हैं ।
- ( 8) वात हेतु तेलः- 500ग्राम सरसांे का तेल (कडुआ तेल), 10ग्राम मदार का दूध, 50ग्राम करील की जड़ का बकला, 1 काला धतूरा का एक फल, 50ग्राम अमरबेल, लाजवन्ती पंचमूल 50ग्राम, 5ग्राम तपकिया हरताल, कुचला 2नग, इन सब को अधकुचला करके तेल में पकायें।