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पढ़िना का अर्थ

[ pedheinaa ]
पढ़िना उदाहरण वाक्य

परिभाषा

संज्ञा
  1. समुद्रों, तालाबों आदि में मिलने वाली एक मछली जिसके शरीर पर चोइयाँ नहीं होती:"वैद्यक के अनुसार पाठीन का मांस कफ, पित्तकारक और रक्तदोष उत्पन्न करने के साथ ही साथ बलदायक भी होता है"
    पर्याय: पाठीन, बांदलक

उदाहरण वाक्य

  1. रोहू , मंगुर, गोंइजा, बाम, पढ़िना, टेंगरी, गिरई, चनगा, टेंगना, भुट्टी, चल्हवा, सिधरी, कवई आदि जैसी अनेक मछलियों की भी भरमार थी।
  2. रोहू , मंगुर , गोंइजा , बाम , पढ़िना , टेंगरी , गिरई , चनगा , टेंगना , भुट्टी , चल्हवा , सिधरी , कवई आदि जैसी अनेक मछलियों की भी भरमार थी।
  3. रोहू , मंगुर , गोंइजा , बाम , पढ़िना , टेंगरी , गिरई , चनगा , टेंगना , भुट्टी , चल्हवा , सिधरी , कवई आदि जैसी अनेक मछलियों की भी भरमार थी।
  4. आगे सोलह प्रजातियों- डंडवा , घंसरा , अइछा , सोंढ़िहा , लूदू , बंजू , भाकुर , पढ़िना , जटा चिंगरा , भेंड़ो , बामी , कारी झिंया , खोकसी , झोरी , सलांगी और केकरा- का मोल तत्कालीन समाज की अलग-अलग जातिगत स्वभाव की मान्यताओं के अनुरूप उपमा देते हुए , समाज के सोलह रूप-श्रृंगार की तरह , बताया गया है।
  5. आगे सोलह प्रजातियों- डंडवा , घंसरा , अइछा , सोंढ़िहा , लूदू , बंजू , भाकुर , पढ़िना , जटा चिंगरा , भेंड़ो , बामी , कारी झिंया , खोकसी , झोरी , सलांगी और केकरा- का मोल तत्कालीन समाज की अलग-अलग जातिगत स्वभाव की मान्यताओं के अनुरूप उपमा देते हुए , समाज के सोलह रूप-श्रृंगार की तरह , बताया गया है।


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  1. पढ़ा-लिखा
  2. पढ़ाई
  3. पढ़ाई करना
  4. पढ़ाई करने वाला
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  7. पणजी
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