परस्मैपद का अर्थ
[ persemaiped ]
परस्मैपद उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- संस्कृत व्याकरण में धातु में लगने वाले दो प्रत्ययों में से एक के लगने पर मिलने वाला वह क्रिया पद जिसके कार्य का फल दूसरों को मिलता है:"नम् धातु में ति प्रत्यय लगाने पर मिला नमति परस्मैपद है"
उदाहरण वाक्य
- ( 10) क्रियाओं में गणभेद एवं परस्मैपद आत्मनेपद का भेद नहीं किया जाता।
- कियाओं में परस्मैपद , आत्मनेपद तथा भवादि, अदादि गणों के भेद का लोप।
- ( 10) क्रियाओं में गणभेद एवं परस्मैपद आत्मनेपद का भेद नहीं किया जाता।
- ( 2) व्याकरण की अपेक्षा संज्ञा एवं क्रिया के रूपों में द्विवचन का अभाव तथा पुÏल्लग और नपुंसक लिंग में अभेद और व्यत्यय; कारकों एवं क्रियारूपों में संकोच, हलंत रूपों का अभाव; कियाओं में परस्मैपद, आत्मनेपद तथा भवादि, अदादि गणों के भेद का लोप।