पापबुद्धि का अर्थ
[ paapebudedhi ]
पापबुद्धि उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषण- जो दुष्ट और नीच प्रकृति का हो:"दुरात्मा रावण ने सीता का हरण किया था"
पर्याय: दुरात्मा, दुष्टचेता, दुष्टात्मा, दुष्टमति, पापमति, पापाशय, पापधी, पापचेता, दुष्टचित्त
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- पापबुद्धि लुम्भक वहीं निवास करता था ।
- कोटरे में छिपे पापबुद्धि के पिता ने यह सुनकर कहा , ' सज्जनों ! आप ध्यानपूर्वक सुनिए | उस धन को धर्मबुद्धि ने ही चुराया | '
- एक दिन पापबुद्धि ने धर्मबुद्धि के पास जाकर कहा , ' मित्र ! मेरा धन तो समाप्त हो गया है अत : यदि तुम कहो तो उस स्थान पर चलकर कुछ और धन निकालकर ले आएं ? '
- पापबुद्धि का पिता अब किसी प्रकार भी अपनी बात को छिपाकर रखने में असमर्थ था | उसने सारा वृतान्त आद्योपान्त यथावत् सुना दिया | न्यायधीशों ने जो दण्ड-व्यवस्था धर्मबुद्धि के लिए निश्चय की थी | वह पापबुद्धि पर लागू कर उसको उसी वृक्ष पर लटका दिया |
- पापबुद्धि का पिता अब किसी प्रकार भी अपनी बात को छिपाकर रखने में असमर्थ था | उसने सारा वृतान्त आद्योपान्त यथावत् सुना दिया | न्यायधीशों ने जो दण्ड-व्यवस्था धर्मबुद्धि के लिए निश्चय की थी | वह पापबुद्धि पर लागू कर उसको उसी वृक्ष पर लटका दिया |
- यह कथा सुनकर न्यायधीशों ने धर्मबुद्धि से कहा , ' इस मुर्ख पापबुद्धि से कहा , ' इस मुर्ख पापबुद्धि ने अपनी चोरी को छिपाने के लिए उपाय तो सोच लिया किन्तु उससे होने वाली हानि के विषय में तनिक भी नही सोचा | अब उसको उसका फल मिल रहा है |
- यह कथा सुनकर न्यायधीशों ने धर्मबुद्धि से कहा , ' इस मुर्ख पापबुद्धि से कहा , ' इस मुर्ख पापबुद्धि ने अपनी चोरी को छिपाने के लिए उपाय तो सोच लिया किन्तु उससे होने वाली हानि के विषय में तनिक भी नही सोचा | अब उसको उसका फल मिल रहा है |
- न्यायलय से लौटकर पापबुद्धि घर आया और उसने अपने पिता से कहा , ' पिताजी ! मैंने धर्मबुद्धि का सारा धन चुरा लिया है | अब मामला न्यायलय में चला गया है | यदि आप मेरी सहायता करें तो मैं बच सकता हूं , अन्यथा हमारे प्राण जाने का भी भय है | '
- जब वह जलने लगा तो कुछ समय तक तो पापबुद्धि का पिता यह सब सहन करता रहा | किन्तु जब असहाय हो गया तो वह अपना अधजला शरीर और फूटी आंख लेकर उस कोटरे से बाहर निकल आया | उसे देखकर न्यायधीशों ने कहा , ' आप कौन हैं ओर आपकी यह दशा किस प्रकार हुई ? '
- किसी नगर में धर्मबुद्धि और पापबुद्धि नाम के दो मित्र रहते थे | एक बार पापबुद्धि ने विचार किया कि वह तो मुर्ख भी है ओर दरिद्र भी | क्यों न किसी दिन धर्मबुद्धि को साथ लेकर विदेश जाया जाए | इसके प्रभाव से धान कमाकर फिर किसी दिन इसको भी ठगकर सारा धन हड़प कर लिया जाए |