पुंश्चली का अर्थ
[ puneshecheli ]
पुंश्चली उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञाउदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- पुंश्चली का अर्थ होता है-त्रपारंडा और स्वैरिणी।
- इसे उसने पुंश्चली नाम दिया है।
- राकेश में कामुकता नहीं दिखती , जबकि दोहा अति कामुक पुंश्चली है।
- होता है , ललनागन पुंश्चली हो जाती है जो विचार कर देखिए तो विधवागन का
- कुलटा , तीन से घर्षिणी , चार से पुंश्चली , पाँच- छः से वेश्या , सात-आठ से पुंगी , और उसके ऊपर महावेश्या।
- देवी-भागवत में लिखा है- पतिव्रता चैकपतौ द्वितीये कुलटा भवेत् तृतीया घर्षिणी ज्ञेया चतुर्थे पुंश्चली तथा वेश्या च पंचमें पष्ठे पुंगी च सप्तमेंअष्टमें ततः ऊर्ध्वं महावेश्या . ....
- पतिव्रतरता कीर्ति वनिता पुंश्चली नहीं प्रमदा मधुकर एक मात्र सच्चे प्रभु का ही उसने किया वरण निर्झर उसकी आशा छोड़ ललक कर जीवन धन का आलिंगन टेर रहा पुरुषोत्तमाश्रया मुरली तेरा मुरलीधर।।
- कवि लोकजीवन के उन बुनियादी रिश्तों की याद दिलाता है जिन पर इस पुंश्चली राजनीति ने आघात किया है और लोक के रागात्मक संबंधसूत्रों को छिन्नभिन्न करने का अमानुषिक कृत्य किया है -
- मुख्यधारा की पुंश्चली पूंजी नियंत्रित पत्रकारिता और उसके अलमबरदार पत्रकार इस पूंजी और राजनीतिकारों के बीच सुदृढ़ सेतु का काम तो कर सकते हैं लेकिन प्रभाष जोशी की तरह चिंतातुर प्रतिपक्ष नहीं रच सकते।
- सब शास्त्र को यही आज्ञा है , और पुनर्विवाह के न होने से बड़ा लोकसान होता है , धर्म का नाश होता है , ललनागन पुंश्चली हो जाती है जो विचार कर देखिए तो विधवागन का विवाह कर देना उनको नरक से निकाल लेना है और शास्त्र की भी आज्ञा है।