प्रतप्त का अर्थ
[ pertept ]
प्रतप्त उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषणउदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- शीतल कला-प्रेम और कहां प्रकाशन व्यवसाय का यह शुष्क-खुश्क प्रतप्त प्रक्षेत्र . ..
- दरार पड़ गई तुरत गभीर-दीर्घ प्राण की गहन धरा प्रतप्त के अनीर श्याम मृत्तिका शरीर में।
- आपकी शरीर-कान्ति प्रतप्त सुवर्णकी-सी है , आपकी पूँछ लंबी है और आप सुमित्रा-नन्दन लक्ष्मण के विजय-प्रदाता हैं, आप श्रीराम दूत को प्रणाम है।
- आपकी शरीर-कान्ति प्रतप्त सुवर्णकी-सी है , आपकी पूँछ लंबी है और आप सुमित्रा-नन्दन लक्ष्मण के विजय-प्रदाता हैं , आप श्रीराम दूत को प्रणाम है।
- ग्रीष्म में यह कभी धीमे-धीमे रुदन या गान भी करता होगा तोउस प्रतप्त मरुत्-हाहाकार में कौन सुन पाता है ? तब दुपहरिया दैत्य की तरह मुँहबाये हाँफती है.
- ग्रीष्म में यह कभी धीमे-धीमे रुदन या गान भी करता होगा तोउस प्रतप्त मरुत्-हाहाकार में कौन सुन पाता है ? तब दुपहरिया दैत्य की तरह मुँहबाये हाँफती है.
- उनकी हिम्मत की दाद देने वालों में अंग्रेज़ी की अश्लीलता के स्पर्श से उत्तेजित सामान्यजन पत्रकारिता एवं मांसलता से प्रतप्त त्वरित लेखन के आचार्य खुशवंत सिंह तक ने सराहा है।
- फाड़ श्याम-मृत्तिका-स्तरावरण उठे सकोण प्रस्तरी प्रतप्त अंग यत्र-तत्र-सर्वतः कि ज्यों ढँकी वसुन्धरा-शरीर की समस्त अस्थियाँ खुलीं रहीं चमक कि चिलचिला रही वहाँ अचेत सूर्य की सफ़ेद औ ' उजाड़ धूप में।
- लित थी यौवन की ज्यों जलता हो खाण्डव वन लपट पुंज उठते प्रदग्ध अति बूँद बूँद पिघलाते तन या प्रतप्त था हवन कुण्ड ज्यों आम्र शाख सा जलता तन लपटें पकड़ रही लपटों को आतुर हो होकर हर क्षण नीचे वसुधा ऊपर अम्बर झूला बना पुष्प उपवन पेंग बढ़ा संपृक्त प्राण-द्वय पल पल छूते सप्त गगन वाजि बना वह काल खण्ड ,
- और सिमटते ही कठोर बाँहॉ के आलिंगन में , चटुल एक-पर-एक उष्ण उर्मियाँ तुम्हारे तन की मुझमें कर संक्रमण प्राण उन्मत्त बना देती हैं कुसुमायित पर्वत-समान तब लगी तुम्हारे तन से मैं पुलकित-विह्वल, प्रसन्न-मूर्च्छित होने लगती हूँ कितना है आनन्द फेंक देने में स्वयं-स्वयं को पर्वत की आसुरी शक्ति के आकुल आलोड़न में? - - पुरुरवा हाय, तृषा फिर वही तरंगॉ में गाहन करने की! वही लोभ चेतना-सिन्धु के अपर पार जाने का झम्प मार तन की प्रतप्त, उफनाती हुई लहर में? ठहर सकेगा कभी नहीं क्या प्रणय शून्य अम्बर पर?