प्रसंगहीन का अर्थ
[ persengahin ]
प्रसंगहीन उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषण- जो प्रसंग-संबंधित न हो:"अप्रासंगिक बातों से बहुत सारी समस्याएँ खड़ी हो जाती हैं"
पर्याय: अप्रासंगिक, अप्रासाङ्गिक, प्रसङ्गहीन, अनुपयुक्त, अप्रसंगिक, अप्रसङ्गिक, अप्रासांगिक, अप्रासांङ्गिक
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- भद्दा , भोंण्डा, कड़वा, अनर्गल या प्रसंगहीन कहना आपको धीरे धीरे समाज से काटने लगता है।
- भद्दा , भोंण्डा, कड़वा, अनर्गल या प्रसंगहीन कहना आपको धीरे धीरे समाज से काटने लगता है।
- अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने अपने हालिया बयान में कहा है कि एशिया के भूमि और पट्टेदारी कानून अब प्रसंगहीन और पुराने हो चुके हैं।
- एकाएक उसे प्रसंगहीन चर्चा छेड़ दी , ” आजकल अगर कोई अपना परिचित या मित्र डाक्टर न हो तो अस्पताल में मरीज को दाखिल करना एक माखौल के सिवा कुछ और नहीं है।
- श्री सत् यनारायण पटेल जिस गरिमाहीन भाषा में और तथ् यों को प्रसंगहीन और संदर्भहीन बनाकर अथवा व् यक्तिगत निष् कर्ष निकालते हुए मनमर्जी की जो रिपोर्टिंग कर रहे हैं , उस पर भी मैं अपनी आपत्ति प्रकट करना चाहता हूं।
- नीरज और दुष्यंत की ये पंक्तियाँ इक्कीसवीं सदी के गुजरते नौवें साल पर इसलिए सटीक बैठती हैं कि साहित्य की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं और इन सवालों के दायरे में साहित्यिक संस्थाएँ , संपादक, पुरस्कार, संगोष्ठियाँ, प्रसंगहीन हो चुके लेखक संगठन सभी हैं।
- क्या कभी कोई स्त्री खुद से यह सवाल पूछ्ती होगी कि अगर उसे दोबारा मौका मिले तो वह स्त्री ही होना चाहेगी ? पता नहीं ऎसा बेतुका प्रसंगहीन सवाल क्योंकर मेरे मन में उठता रहता है मैं अपना मन इसमें नहीं उलझाना चाहती पर कभी लगता है कि इसका कोई ठीक ठीक तार्कि
- क्या कभी कोई स्त्री खुद से यह सवाल पूछ्ती होगी कि अगर उसे दोबारा मौका मिले तो वह स्त्री ही होना चाहेगी ? पता नहीं ऎसा बेतुका प्रसंगहीन सवाल क्योंकर मेरे मन में उठता रहता है मैं अपना मन इसमें नहीं उलझाना चाहती पर कभी लगता है कि इसका कोई ठीक ठीक तार्कि...
- क्या कभी कोई स्त्री खुद से यह सवाल पूछ्ती होगी कि अगर उसे दोबारा मौका मिले तो वह स्त्री ही होना चाहेगी ? पता नहीं ऎसा बेतुका प्रसंगहीन सवाल क्योंकर मेरे मन में उठता रहता है मैं अपना मन इसमें नहीं उलझाना चाहती पर कभी लगता है कि इसका कोई ठीक ठीक तार्किक जवाब ढूंढ ही लूं !
- क्या कभी कोई स्त्री खुद से यह सवाल पूछ्ती होगी कि अगर उसे दोबारा मौका मिले तो वह स्त्री ही होना चाहेगी ? पता नहीं ऎसा बेतुका प्रसंगहीन सवाल क्योंकर मेरे मन में उठता रहता है मैं अपना मन इसमें नहीं उलझाना चाहती पर कभी लगता है कि इसका कोई ठीक ठीक तार्किक जवाब ढूंढ ही लूं !