बहिश्ती का अर्थ
[ bhisheti ]
बहिश्ती उदाहरण वाक्य
परिभाषा
विशेषणसंज्ञाउदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- हूरान ए बहिश्ती की जवानी पे ना जा।।
- डाक्टर बहिश्ती बहुत परिश्रमी थे और राजनैतिक व सांस्कृतिक गतिविधियों में सदैव सक्रिय रहते थे।
- 2 आबान वर्ष 1307 हिजरी शम्सी को ईरान के प्रसिद्ध क्रांतिकारी और विचारक आयतुल्लाह डाक्टर सैयद मुहम्मद हुसैन बहिश्ती का इस्फ़हान में जन्म हुआ।
- उनकी शहादत पर इस्लाम क्रांति के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी ने कहा था कि शहीद बहिश्ती मज़लूम जिये , मज़लूम मरे और इस्लाम के शत्रुओं की आंखों का कांटा थे।
- मार कट , जंगो जद्दल, लूट पाट , की यह दुनयावी ज़िन्दगी या फिर उस दुन्या की उन बड़ी बड़ी आँखों वाली खयाली जन्नत की हूरें? मोती जैसे सजे हुए बहिश्ती लौंडे? शराब कबाब, खजूर अंगूर?
- जब मौलाना अशराफ अली थानवी बहिश्ती ज़ेवर में ‘ कुफु ' के सिद्धान्त को बयान करते हुए यह बताते हैं कि ऊंची बिरादरियों को नीची बिरादरियों के साथ विवाह के संबंध नहीं कायम करने चाहिए तो मौलाना और उनके मुरीदों को यह इस्लामी सिद्धांत ही लग रहा था .
- उनके लिये बसने के बाग़ हैं उनके नीचे नदियां बहें वो उसमें सोने के कंगन पहनाए जाएंगे ( 18 ) ( 18 ) हर जन्नती को तीन तीन कंगन पहनाए जाएंगे , सोने और चांदी और मोतियों के . सही हदीस में है कि वुजू का पानी जहाँ जहाँ पहुंचता है वो सारे अंग बहिश्ती ज़ेवरों से सजाए जाएंगे .
- इन रिश्तों से महरूम हो जाने के बाद क्या रह जाती है इंसानी ज़िन्दगी ? मार कट , जंगो जद्दल , लूट पाट , की यह दुनयावी ज़िन्दगी या फिर उस दुन्या की उन बड़ी बड़ी आँखों वाली खयाली जन्नत की हूरें ? मोती जैसे सजे हुए बहिश्ती लौंडे ? शराब कबाब , खजूर अंगूर ? इसके लिए भूल जाएँ अपने शफीक बाप को जिसके हम जुज़्व हैं ?
- दुनिया में जिस क़दर ख़ौफ़नाक जंग हुए जिस क़दर अज़ाब बरपा किये गये जिस क़दर मज़हब के नाम पर क़त्ल व ख़ून हुए , उनमें से निस्फ़ से ज़्यादा इस ग़लत अक़ीदे की बिना पर बरपा हुए और इस तमाम कुश्तो ख़ून ने ज़मीन के बहिश्ती चेहरे को जहन्नम में तबदील कर दिया इसलिये अगरचे मैं इस अंगूरिस्तान का एक मामूली मज़दूर हूँ और अगरचे मैं स्वामी दयानन्द की जूती का तसमा खोलने के भी लायक़ ख़्याल न किया जाऊँगा।
- इस भेंट में , जो तीस वर्ष पूर्व जुम्हूरी इस्लामी दल के कार्यालय में एक आतंकवादी कार्यवाही में न्यायपालिका के तत्कालीन प्रमुख आयतुल्लाह बहिश्ती और उनके 72 साथियों की शहादत की बरसी के उपलक्ष्य में हुई , वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह घटना अत्यंत दुखद थी किंतु ईरानी जनता ने संयम और दूरदर्शिता से काम लेकर इस दुख और पीड़ा को एक अवसर में परिवर्तित कर दिया और गत 33 वर्षों के दौरान ईरानी राष्ट्र की प्रगति व विकास के जारी रहने का यही रहस्य है।