बाहुशाली का अर्थ
[ baahushaali ]
बाहुशाली उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- धृतराष्ट्र के एक पुत्र:"बाहुशाली का वर्णन पुराणों में मिलता है"
- एक दानव:"बाहुशाली का वर्णन पुराणों में मिलता है"
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- सब कुछ व्यवस्थित हो जाने पर भी श्रीदत्त अपने मित्र बाहुशाली के लिए सदा चिंतित रहता था |
- बाहर श्रीदत्त उनकी प्रतीक्षा कर रहा था | उसने उन दोनों को अपने दो मित्रों के साथ बाहुशाली के पास भेज दिया |
- जब राजा को ज्ञात हुआ कि श्रीदत्त ने राजकुमारी का जीवन बचाया है तो उसने उसके लिए अनेक उपहार भेजे , जिन्हें उसने बाहुशाली के पिता को भेंट कर दिया |
- उसका हाथ पकड़कर बाहुशाली उसे राजकुमारी के सामने ले गया | दोनों वहां पहुंचे ही थे , तभी सुनाई दिया - “ हाय-हाय ! राजकन्या को सर्प ने डस लिया है | ”
- इसके बाद बाहुशाली श्रीदत्त को अपने साथ अपने घर ले गया | उसके माता-पिता ने श्रीदत्त को अपने पुत्र के समान ही स्नेह और ममता दी | तब से श्रीदत्त उन्हीं के घर पर रहने लगा |
- कुछ समय बाद अवन्ति देश के बाहुशाली और वज्रमुष्टि भी श्रीदत्त के मित्र बन गए | ये दोनों वीर भी क्षत्रिय थे | यही नहीं , दक्षिण देशों के सभी कुश्ती प्रेमियों तथा अनेक देशों के मंत्रियों के पुत्रों से भी श्रीदत्त की मित्रता हो गई |
- यह निश्चित हो जाने पर भावनिका प्रसन्नता के साथ लौट गई | दूसरे दिन व्यापार करने का बहाना बनाकर बाहुशाली आदि मथुरा को चले गए | मार्ग में वे श्रीदत्त और राजकुमारी के लिए व्यवस्था भी करते गए | यह सब कार्य पूरी सावधानी और गोपनीयता के साथ किया गया था |
- राजकुमारी के जीवित होने पर सभी श्रीदत्त का आभार मानने लगे | सूचना मिलने पर राजा बिंबिक भी उस स्थान पर आ पहुंचा | राजा के आने पर लोग इधर-उधर हट गए | श्रीदत्त ने अंगूठी राजकुमारी के ही हाथ में रहने दी और स्वयं बाहुशाली के साथ उसके घर आ गया |
- लोग इधर-उधर भागने लगे | श्रीदत्त की दशा ऐसी हो गई कि काटो तो खून नहीं | बाहुशाली ने बड़े धैर्य से काम लिया और उसने राजकुमारी की सेविका से कहा - “ मेरे मित्र श्रीदत्त के पास सर्पविष नाशक अंगूठी है | वह विष दूर करने वाला मंत्र भी जानता है | ”
- श्रीदत्त का मित्र बाहुशाली भी उसके साथ ही था | वह राजकुमारी और श्रीदत्त के व्यवहार का अर्थ समझ गया | श्रीदत्त उद्विग्न-सा हो गया था , क्योंकि राजकन्या वृक्ष की ओट में हो गई थी | इस पर बाहुशाली ने कहा - “ मित्र ! चिंता न करो | आओ , राजकुमारी को मैं तुम्हें दिखाता हूं | ”