भाव-प्रकाश का अर्थ
[ bhaav-perkaash ]
भाव-प्रकाश उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- आयुर्वेद का एक मूल ग्रन्थ:"भावप्रकाश के रचनाकार आचार्य भाव मिश्र हैं"
पर्याय: भावप्रकाश, भाव प्रकाश, भावप्रकाश निघंटु, भाव प्रकाश निघंटु, भाव-प्रकाश निघंटु
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- संघर्ष के इन दिनों का भाव-प्रकाश सुंदर है ।
- इनके एक पूर्वज भाऊ-राम ने भाव-प्रकाश की रचना की थी।
- वृहद संहिता ' ‘ भाव-प्रकाश ' ‘ रस रत्न समुच्चय ' और ‘ आयुर्वेद प्रकाश इन ग्रन्थों में भी रत्नों के बारे में पर्याप्त जानकारी दी गई है।
- उन्होंने प्रसंग की पूर्णता और भावों की स्पष्टता के लिए अनेक घटनाएँ अपने अनुभव के आधार पर वार्ताओं की टिप्पणी स्वरूप ' भाव-प्रकाश ' में व्यक्त की थीं।
- उन्होंने प्रसंग की पूर्णता और भावों की स्पष्टता के लिए अनेक घटनाएँ अपने अनुभव के आधार पर वार्ताओं की टिप्पणी स्वरूप ' भाव-प्रकाश ' में व्यक्त की थीं।
- दो सौ बावन वार्ता में गोकुलन के बाद की घटनाओं के उल्लेख के सम्बन्ध में उनका कहना है कि उनका समावेश हरिराय ने अपने ' भाव-प्रकाश ' में किया था।
- दो सौ बावन वार्ता में गोकुलन के बाद की घटनाओं के उल्लेख के सम्बन्ध में उनका कहना है कि उनका समावेश हरिराय ने अपने ' भाव-प्रकाश ' में किया था।
- सूरदास श्रीनाथ भ की “ संस्कृतवार्ता मणिपाला ' , श्री हरिराय कृत ” भाव-प्रकाश “ , श्री गोकुलनाथ की ” निजवार्ता ' आदि ग्रन्थों के आधार पर , जन्म के अन्धे माने गए हैं।
- हरिराय के बाद के लेखकों की असावधानी से मूल वार्ता और भाव-प्रकाश का सम्मिश्रण हो गया है , जिसके कारण हरिराय द्वारा लिखी हुई गोकुलनाथ के बाद की घटनाएँ भी गोकुलनाथ की लिखी हुई सी ज्ञात हो सकती हैं।
- क्योकि यह सर्वथा स्पष्ट है क़ि यदि ऐसा नहीं किया गया तो वह अस्पष्ट तोतली भाषा भविष्य में अनर्गल प्रलाप , कुत्सित भाव-प्रकाश एवं ज्ञानेन्द्रियो के स्वाभाविक गुणों के विपरीत संवेदना ग्रहण एवं उत्सर्जन करने वाली हो जायेगी .