भुजंगप्रयात का अर्थ
[ bhujengaperyaat ]
भुजंगप्रयात उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- एक वर्णिक छंद:"भुजंगप्रयात के प्रत्येक चरण में बारह वर्ण होते हैं"
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- अगले ही दिन उन्होंने संस्कृत में अपना प्रथम पद भुजंगप्रयात छन्द में रचा।
- अगले ही दिन उन्होंने संस्कृत में अपना प्रथम पद भुजंगप्रयात छन्द में रचा।
- इनमें शिखरिणी , आर्या , मन्दाक्रांता , इन्द्रवज्रा , शार्दूलविक्रीडित , भुजंगप्रयात छंद ज्यादा चर्चित हुए।
- इनमें शिखरिणी , आर्या , मन्दाक्रांता , इन्द्रवज्रा , शार्दूलविक्रीडित , भुजंगप्रयात छंद ज्यादा चर्चित हुए।
- ये दोनों छंद संस्कृत में क्रमशः भुजंगप्रयात ( भुजंगप्रयातं चतुर्भिर्यकारैः ) और पंचचामर ( प्रमाणिका पदद्वयं वदन्ति पंचचामरम् ) नाम से प्रचलित हैं।
- किशुनेश द्वारा प्रयोग किये गये भुजंगप्रयात में वर्ण तथा गण क्रम शुद्ध प्रतीत होता है , पर पद संख्या इन्होंने भी निश्चित नहीं रखी है।
- प्रसिद्ध हैं - दोहा , चौपाई , सोरठा , ऊलाल , कुंडिलया , बरवै , कवित्त , रोला , सवैया , मालती , मालिनी , गीतिका , छप्पय , सारंग , राधिका , आर्या , भुजंगप्रयात , मत्तगयंद आदि।
- प्रसिद्ध हैं - दोहा , चौपाई , सोरठा , ऊलाल , कुंडिलया , बरवै , कवित्त , रोला , सवैया , मालती , मालिनी , गीतिका , छप्पय , सारंग , राधिका , आर्या , भुजंगप्रयात , मत्तगयंद आदि।
- सार , विष्णुपाद , रोला , ताटंक , लावनी अनेक मात्रिक छन्द ग़ज़लों में मिल जाएंगे जैसे मुतकारिब बहर और भुजंगप्रयात , स्त्रग्विणि और बहरे-मुतदारिक , विधाता औ हज़ज आदि अनेक उदाहरण मात्रिक छन्दों और ग़ज़लों में मिल जाते हैं।
- एक छोटा सा उदाहरणः- ' बहरे-मुतकारिब मुसम्मन ' जिसमें 122 ( फऊलुन ) - 4 बार और संस्कृत वर्ण वृत्त ' भुजंगप्रयात ' में भी 8 प्रति चरण ' यगण ' ( ।ऽऽ ) चार बार होते हैं जिसका अर्थ है कि उर्दू बहर और संस्कृत वृत्त में साम्य है।