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भुजंगप्रयात का अर्थ

[ bhujengaperyaat ]
भुजंगप्रयात उदाहरण वाक्य

परिभाषा

संज्ञा
  1. एक वर्णिक छंद:"भुजंगप्रयात के प्रत्येक चरण में बारह वर्ण होते हैं"

उदाहरण वाक्य

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  1. अगले ही दिन उन्होंने संस्कृत में अपना प्रथम पद भुजंगप्रयात छन्द में रचा।
  2. अगले ही दिन उन्होंने संस्कृत में अपना प्रथम पद भुजंगप्रयात छन्द में रचा।
  3. इनमें शिखरिणी , आर्या , मन्दाक्रांता , इन्द्रवज्रा , शार्दूलविक्रीडित , भुजंगप्रयात छंद ज्यादा चर्चित हुए।
  4. इनमें शिखरिणी , आर्या , मन्दाक्रांता , इन्द्रवज्रा , शार्दूलविक्रीडित , भुजंगप्रयात छंद ज्यादा चर्चित हुए।
  5. ये दोनों छंद संस्कृत में क्रमशः भुजंगप्रयात ( भुजंगप्रयातं चतुर्भिर्यकारैः ) और पंचचामर ( प्रमाणिका पदद्वयं वदन्ति पंचचामरम् ) नाम से प्रचलित हैं।
  6. किशुनेश द्वारा प्रयोग किये गये भुजंगप्रयात में वर्ण तथा गण क्रम शुद्ध प्रतीत होता है , पर पद संख्या इन्होंने भी निश्चित नहीं रखी है।
  7. प्रसिद्ध हैं - दोहा , चौपाई , सोरठा , ऊलाल , कुंडिलया , बरवै , कवित्त , रोला , सवैया , मालती , मालिनी , गीतिका , छप्पय , सारंग , राधिका , आर्या , भुजंगप्रयात , मत्तगयंद आदि।
  8. प्रसिद्ध हैं - दोहा , चौपाई , सोरठा , ऊलाल , कुंडिलया , बरवै , कवित्त , रोला , सवैया , मालती , मालिनी , गीतिका , छप्पय , सारंग , राधिका , आर्या , भुजंगप्रयात , मत्तगयंद आदि।
  9. सार , विष्णुपाद , रोला , ताटंक , लावनी अनेक मात्रिक छन्द ग़ज़लों में मिल जाएंगे जैसे मुतकारिब बहर और भुजंगप्रयात , स्त्रग्विणि और बहरे-मुतदारिक , विधाता औ हज़ज आदि अनेक उदाहरण मात्रिक छन्दों और ग़ज़लों में मिल जाते हैं।
  10. एक छोटा सा उदाहरणः- ' बहरे-मुतकारिब मुसम्मन ' जिसमें 122 ( फऊलुन ) - 4 बार और संस्कृत वर्ण वृत्त ' भुजंगप्रयात ' में भी 8 प्रति चरण ' यगण ' ( ।ऽऽ ) चार बार होते हैं जिसका अर्थ है कि उर्दू बहर और संस्कृत वृत्त में साम्य है।


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