भूतधात्री का अर्थ
[ bhutedhaateri ]
भूतधात्री उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- सौर जगत का वह ग्रह जिस पर हम लोग निवास करते हैं:"चन्द्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है"
पर्याय: पृथ्वी, धरती, धरा, भू, वसुंधरा, वसुन्धरा, वसुधा, धरणि, धरित्री, धरणी, अवनि, उर्वि, रत्नगर्भा, क्षिति, महि, मही, अचलकीला, अचला, अदिति, अपारा, रेणुका, जमीन, ज़मीन, ज़मीं, जमीं, भूमंडल, भूमण्डल, पृथिवीमंडल, पृथिवीमण्डल, पृथिवी, खगवती, अवनी, विपुला, देवयजनी, बीजसू, विश्वंभरा, विश्वम्भरा, प्रथी, धरुण, विश्वधारिणी, विश्वगंधा, विश्वगन्धा, जगद्वहा, पुहुमी, रेनुका, जगद्योनि, इड़ा, सोलाली, तोयनीबी, मेदिनी, केलि, वैष्णवी, मला, प्रियदत्ता, रसा, अहि, आदिमा, वसनार्णवा, हेमा, भूयण, पुहमी, पोहमी, सुगंधिमाता, सुगन्धिमाता, इरा, इल, इला, धात्री, इलिका, रत्नसू, रत्नसूति, यला, भूमिका, अद्रिकीला, उदधिमेखला, तप्तायनी
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- इसकी शक्ति है भूतधात्री और भैरव को क्षीर खंडक कहते हैं।
- यहां क्षीरखंडक और भूतधात्री की प्रतिमाओं के रूप में शिव-शक्ति स्थापित है।
- चरकसंहिता में पालि साहित्य के कुछ शब्द मिलते हैं , जैसे अवक्रांति, जेंताक (जंताक - विनयपिटक), भंगोदन, खुड्डाक, भूतधात्री (निद्रा के लिये)।
- चरकसंहिता में पालि साहित्य के कुछ शब्द मिलते हैं , जैसे अवक्रांति, जेंताक (जंताक - विनयपिटक), भंगोदन, खुड्डाक, भूतधात्री (निद्रा के लिये)।
- चरकसंहिता में पालि साहित्य के कुछ शब्द मिलते हैं , जैसे अवक्रांति, जेंताक (जंताक - विनयपिटक), भंगोदन, खुड्डाक, भूतधात्री (निद्रा के लिये)।
- चरकसंहिता में पालि साहित्य के कुछ शब्द मिलते हैं , जैसे अवक्रांति, जेंताक (जंताक - विनयपिटक ), भंगोदन, खुड्डाक, भूतधात्री (निद्रा के लिये)।
- चरकसंहिता में पालि साहित्य के कुछ शब्द मिलते हैं , जैसे अवक्रांति , जेंताक ( जंताक - विनयपिटक ) , भंगोदन , खुड्डाक , भूतधात्री ( निद्रा के लिये ) ।
- चरकसंहिता में पालि साहित्य के कुछ शब्द मिलते हैं , जैसे अवक्रांति , जेंताक ( जंताक - विनयपिटक ) , भंगोदन , खुड्डाक , भूतधात्री ( निद्रा के लिये ) ।
- वैदिक ऋषियों ने भूतधात्री , सर्वसहा , आदि जननी , महालक्ष्मी , करुणामयी , आत्यंतिका प्रेम वाली , दुःख दारिद्र्य व दैन्य का नाश करने वाली , जीवन बनाने वाली , जीवन खिलाने वाली , जीवन को आकार देने वाली आदि शक्ति को लक्ष्मी अथवा श्री कहकर उनकी अपार महिमा गाई है।