रक्तपुष्प का अर्थ
[ rektepusep ]
रक्तपुष्प उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- एक वृक्ष जिसके फल खाये जाते हैं:"माली बगीचे में अनार लगा रहा है"
पर्याय: अनार, दाड़िम, पिंडीर, पिण्डीर, शालमर्कट, शालमर्कटक, शुकवल्लभ, सुनील, फलशाड़व, मणिबीज, अम्लकेशर, केशराम्ल, मुखवल्लभ, पर्वरुह, नीलपत्र, रोचन - एक सदाबहार वृक्ष:"पुन्नाग की टहनियों के सिरे पर लाल रंग के फूल गुच्छों में लगते हैं"
पर्याय: पुन्नाग, पांडुनाम, पाण्डुनाम, पाटलद्रुम, नागपुष्प, केसर, रक्तशेखर - एक मझोले आकार का वृक्ष:"कनेर में लाल, पीले एवं सफ़ेद फूल लगते हैं"
पर्याय: कनेर, कणेर, कुंद, कुन्द, कनैल, रंगारि, रङ्गारि, करवीर, पिंडबीजक, पिण्डबीजक, शितिकुंभ, शितिकुम्भ, वेणुककर, शातकुंभ, शातकुम्भ, सिद्धपुष्प, करबीर, स्थल-कुमुद, करेणु, अर्जुन, शतप्रास, अश्वमार, अश्वरोधक, भृंगबंधु - एक छोटा पौधा:"गुलदुपहरिया में सफेद और सुगंधित फूल आते हैं"
पर्याय: गुलदुपहरिया, बंधुजीव, बन्धुजीव, बंधुजीवक, बन्धुजीवक, रक्तक, रागप्रसव, रागपुष्प, रक्त, बंधूक, गुल-दुपहरिया, अहन्-पुष्प, दुपहरिया, दोपहरिया - एक छोटे पौधे का फूल जो सफेद और सुगंधित होता है:"कहीं से गुलदुपहरिया की सुगंध आ रही है"
पर्याय: गुलदुपहरिया, बंधुजीव, बन्धुजीव, बंधुजीवक, बन्धुजीवक, रक्तक, रागप्रसव, रागपुष्प, रक्त, बंधूक, गुल-दुपहरिया, अहन्-पुष्प - एक मझोले आकार के पेड़ का फूल जो पीला, सफेद या लाल होता है:"सीमा कनेर की माला बना रही है"
पर्याय: कनेर, कणेर, कुंद, कुन्द, कनैल, रंगारि, रङ्गारि, करवीर, करबीर, अर्जुन, स्थल-कुमुद
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- अपने हृदय के रक्तपुष्प आकाश को अर्पित करता हुआ सेमल।
- कार्य की अनुकूलता के लिए- सूर्य को रक्तपुष्प मिश्रित जल देकर सात बार घूमें।
- सूर्य भगवान को अर्ध्य ताम्र में , रक्तपुष्प या चंदनकुमकुम मिश्रित जल से दिया जाता है।
- सूर्य भगवान को अर्ध्य ताम्र में , रक्तपुष्प या चंदनकुमकुम मिश्रित जल से दिया जाता है।
- प्रतिदिन प्रात : काल रक्तचन्दनादि से मण्डल बनाकर तथा ताम्रपात्र में जल, लाल चन्दन, चावल, रक्तपुष्प और कुशादि रखकर
- प्रतिदिन प्रात : काल रक्तचन्दनादि से मण्डल बनाकर तथा ताम्रपात्र में जल , लाल चन्दन , चावल , रक्तपुष्प और कुशादि रखकर सूर्यमन्त्र का जप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिये।
- प्रतिदिन प्रात : काल रक्तचन्दनादि से मण्डल बनाकर तथा ताम्रपात्र में जल , लाल चन्दन , चावल , रक्तपुष्प और कुशादि रखकर सूर्यमन्त्र का जप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिये।
- आप के श्वसुर के श्वसुर के युग में वे अपना शौर्य प्रदर्शित कर चुके हैं जब कि राजाधिराज को देश के स्थान पर अपने गिरते केशों और आभरण के रक्तपुष्प की अधिक चिंता थी।
- ! तुमको किंसुक , पर्ण , याज्ञिक , रक्तपुष्पक , क्षारश्रेष्ठ , वात-पोथ , ब्रह्मावृक्ष , ब्रह्मावृक्षक , ब्रह्मोपनेता , समिद्धर , करक , त्रिपत्रक , ब्रह्मपादप , पलाशक , त्रिपर्ण , रक्तपुष्प , पुतद्रु , काष्ठद्रु , बीजस्नेह , कृमिघ्न , वक्रपुष्पक , सुपर्णी कहा जाता है ..
- ! तुमको किंसुक , पर्ण , याज्ञिक , रक्तपुष्पक , क्षारश्रेष्ठ , वात-पोथ , ब्रह्मावृक्ष , ब्रह्मावृक्षक , ब्रह्मोपनेता , समिद्धर , करक , त्रिपत्रक , ब्रह्मपादप , पलाशक , त्रिपर्ण , रक्तपुष्प , पुतद्रु , काष्ठद्रु , बीजस्नेह , कृमिघ्न , वक्रपुष्पक , सुपर्णी कहा जाता है ..