लिंगेन्द्रिय का अर्थ
[ linegaenedriy ]
लिंगेन्द्रिय उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- पुरुष का वह जनन अंग जिससे संभोग किया जाता है:"लंड शरीर का बहुत ही नाजुक अंग होता है"
पर्याय: लंड, लण्ड, शिश्न, लिंग, पुरुष जननेंद्रिय, पुरुष जननेन्द्रिय, इंद्रिय, पुरुषेंद्रिय, लाड़, लाँड़, इन्द्रिय, इंद्री, इन्द्री, कामायुध, रतिसाधन, लाँगूल, लाँगल, लांगल, लाङ्गल, मूष्कर, शेव, भुन्नास, आलतलौड़ा, डंडी, नस
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- लिंगेन्द्रिय की सूजन भी दूर होती है।
- 9 ) लिंगेन्द्रिय को हमेशा साफ रखें।
- लिंगेन्द्रिय को बार-बार छूने और मसलने की आदत को छोड़ दें।
- * इस रोग के रोगी को रात में लिंगेन्द्रिय में तनाव महसूस होता है।
- सोजाक एक लिंगेन्द्रिय रोग है , जो उपदंश की तरह संक्रमण के कारण ही होता है।
- इस पानी से लिंगेन्द्रिय के मुंह पर पिचकारी लगाने से सोजाक रोग में बहुत आराम होता है।
- उपदंश में लिंगेन्द्रिय के बाहरी भाग सुपारी ( शिश्नमुंड) पर फुंसियाँ और घाव होते हैं, जिनसे चेप (स्राव) निकलता रहता है।
- उपदंश में लिंगेन्द्रिय के बाहरी भाग सुपारी ( शिश्नमुंड ) पर फुंसियाँ और घाव होते हैं , जिनसे चेप ( स्राव ) निकलता रहता है।
- लिंगेन्द्रिय में जलन होना , शिश्नमुण्ड का लाल हो जाना, सूज जाना, खुजली चलना, पेशाब करते समय पीड़ा होना, मूत्र मार्ग से पीप आना आदि लक्षण प्रारंभिक अवस्था में प्रकट होते हैं।
- रोजाना रात को लिंगेन्द्रिय में इस तेल की मालिश करने से इन्द्रिय की समस्त बिमारियां और कमजोरी दूर होकर इन्द्रिय मजबूत होती है तथा उसमें असमय काम शक्ति वेग उत्पन्न होता है।