विधान-परिषद् का अर्थ
[ vidhaan-perised ]
विधान-परिषद् उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- वह सभा या परिषद् जो देश के लिए नये विधान बनाती और पुराने विधानों में संशोधन आदि करती है:"राम के पिताजी विधान परिषद के सदस्य हैं"
पर्याय: विधानपरिषद, विधानपरिषद्, विधान-परिषद - कुछ भारतीय राज्यों में लोकतंत्र की एक प्रतिनिधि सभा जिसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं तथा कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनित किए जाते हैं:"विधान परिषद् विधानमंडल का अंग है जिसके सदस्यों का कार्यकाल छह वर्षों का होता है"
पर्याय: विधान परिषद्, विधान परिषद, विधान-परिषद
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- पिता जानकीनाथ बोस 1901 में कटक नगरपालिका के अध्यक्ष और 1912 में बंगाल विधान-परिषद् के सदस्य चुने गए।
- १८६२ में पटियाला के महाराजा और बनारस के राजा को बडे लाट की विधान-परिषद् में नामजद किया गया।
- लोक-सभा , राज्य-सभा, विधान-सभा, विधान-परिषद्, नगर-निकाय…. ये सब मैं नहीं जनता था… शायद जो वोट देते थे वे भी नहीं जानते थे।
- वे प्रांत की अनेकानेक प्रमुख संस्थाओं एवं समितियों के अध्यक्ष तथा बंगाल विधान-परिषद् एवं बिहार-उड़ीसा विधान परिषद् के अनेक वर्षों तक सदस्य रहे।
- वे प्रांत की अनेकानेक प्रमुख संस्थाओं एवं समितियों के अध्यक्ष तथा बंगाल विधान-परिषद् एवं बिहार-उड़ीसा विधान परिषद् के अनेक वर्षों तक सदस्य रहे।
- राजनीति में गर कोई पड़े पद ( मसलन - प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री ) पर बैठा व्यक्ति पिछले दरवाजे ( राज्य-सभा या विधान-परिषद् ) से चुनकर आता है तो उस पर ये आरोप लगते हैं कि- ये ज़मीन से जुड़े लोग नहीं हैं।
- मीडिया द्वारा इस मामले को दिए गए महत्त्व का नतीजा था कि उत्तर प्रदेश सरकार को विधान-सभा और विधान-परिषद् में सदस्यों के तीखे सवालों का सामना कररना पड़ा और सदस्यों ने टी . ई.ट ी . अभ्यर्थियों की स्थिति और उस पर सरकार के रुख पर रोष जताते हुए जरुरु कदम उठाने को कहा .
- पंकज जी जब हिन्दी विद्यापीठ के छात्र थे , उन दिनों हिन्दी विद्यापीठ के शिक्षक के रूप में डॉ० लक्ष्मी नारायण सुधांशु (जो आगे चलकर बिहार विधान सभा के अध्यक्ष भी चुने गये थे), जनार्दन प्रसाद झा 'द्विज' (बाद में पुर्णिया कॉलेज के प्राचार्य बने), बुद्धिनाथ झा 'कैरव' (जो बाद में बिहार विधान-परिषद् के सदस्य बने थे) जैसे विद्वान एवं ख्यातिलब्ध हस्तियां कार्यरत थी।
- पंकज जी जब हिन्दी विद्यापीठ के छात्र थे , उन दिनों हिन्दी विद्यापीठ के शिक्षक के रूप में डॉ ० लक्ष्मी नारायण सुधांशु ( जो आगे चलकर बिहार विधान सभा के अध्यक्ष भी चुने गये थे ) , जनार्दन प्रसाद झा ' द्विज ' ( बाद में पुर्णिया कॉलेज के प्राचार्य बने ) , बुद्धिनाथ झा ' कैरव ' ( जो बाद में बिहार विधान-परिषद् के सदस्य बने थे ) जैसे विद्वान एवं ख्यातिलब्ध हस्तियां कार्यरत थी।