विश्वदेवा का अर्थ
[ vishevdaa ]
विश्वदेवा उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञाउदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- इस अवसर पर पत्रकार रमेश मोर , रामनिवास गुप्ता, ओमप्रकाश विश्वदेवा, डा. आकांक्षा रावत, आशा मिश्रा, डा. नौशाद सोहेल, साहित्यकार डा. राज गोस्वामी, ओमप्रकाश...
- परम पूज्य निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महा मंडलेश्वर स्वामी श्री विश्वदेवा नन्द जी महाराज के निर्वाण पीठ पर विराजमान हुये २ ५ वर्ष पूरे हुये ।
- ऋग्वेद के सूक्तों में देवताओं की स्तुतियों से देवताओं की पहचान की जाती है , इनमें देवताओं के नाम अग्नि, वायु, इन्द्र, वरुण, मित्रावरुण, अश्विनीकुमार, विश्वदेवा, सरस्वती,
- एक विश्वदेवा को , दो इन्द्रा को समर्पित है वही पाच जो अति प्रसिद्द है [ जुवारी सूक्त ] जो येलुश को बाकि वैदिक ऋषियों से अलग करता है।
- - उत्तम संतान के लिए लक्ष्मणा , वट के नए कोपल , सहदेवा एवं विश्वदेवा में से किसी एक को दूध के साथ पीस कर स्त्री के दाहिने एवं बाएं नासिका छिद्र में डालना चाहिए।
- ऋग्वेद के सूक्तों में देवताओं की स्तुतियों से देवताओं की पहचान की जाती है , इनमें देवताओं के नाम अग्नि, वायु, इन्द्र, वरुण, मित्रावरुण, अश्विनीकुमार, विश्वदेवा, सरस्वती, ऋतु, मरुत, त्वष्टा, ब्रहम्णस्पति,सोम,दक्षिणा इन्द्राणी, वरुनानी, द्यौ, पृथ्वी, पूषा आदि को पहचाना गया है,और इनकी स्तुतियों का विस्तृत वर्णन मिलता है.
- ऋग्वेद के सूक्तों में देवताओं की स्तुतियों से देवताओं की पहचान की जाती है , इनमें देवताओं के नाम अग्नि , वायु , इन्द्र , वरुण , मित्रावरुण , अश्विनीकुमार , विश्वदेवा , सरस्वती , ऋतु , मरुत , त्वष्टा , ब्रहम्णस्पति , सोम , दक्षिणा इन्द्राणी , वरुनानी , द्यौ , पृथ्वी , पूषा आदि को पहचाना गया है , और इनकी स्तुतियों का विस्तृत वर्णन मिलता है।
- ऋग्वेद के सूक्तों में देवताओं की स्तुतियों से देवताओं की पहचान की जाती है , इनमें देवताओं के नाम अग्नि , वायु , इन्द्र , वरुण , मित्रावरुण , अश्विनीकुमार , विश्वदेवा , सरस्वती , ऋतु , मरुत , त्वष्टा , ब्रहम्णस्पति , सोम , दक्षिणा इन्द्राणी , वरुनानी , द्यौ , पृथ्वी , पूषा आदि को पहचाना गया है , और इनकी स्तुतियों का विस्तृत वर्णन मिलता है।
- इसमें ' हाउ ' का अर्थ पृथ्वी , ' हाई ' का अर्थ वायु , ' अथ ' का अर्थ चन्द्रमा , ' इह ' का अर्थ आत्मा , ' ई ' का अर्थ अग्नि , ' ऊ ' का आदित्य , ' ए ' का निमन्त्रण , ' औ होम ' का अर्श विश्वदेवा , ' हि ' का प्रजापति , ' स्वर ' प्राण का रूप है , ' या ' अन्न है और ' वाक् ' विराट है।