शालाक्य का अर्थ
[ shaalaakey ]
शालाक्य उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- आयुर्वेद की एक शाखा जिसमें कान, नाक, आँख, जीभ, मुँह आदि के रोगों तथा उनकी चिकित्सा का विवेचन हो:"चाचाजी शालाक्यशास्त्र के अध्यापक हैं"
पर्याय: शालाक्यशास्त्र - वह जो आँख, नाक, मुँह जीभ आदि के रोगों की चिकित्सा करता हो:"पिताजी अपनी जीभ दिखाने शालाक्य के पास गए थे"
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- ठीक उसी प्रकार , जिस प्रकार शल्य और शालाक्य तन्त्र का।
- प्राय : सभी अवयवों की चिकित्सा शल्य और शालाक्य (चीर फाड़) द्वारा होती थी।
- प्राय : सभी अवयवों की चिकित्सा शल्य और शालाक्य (चीर फाड़) द्वारा होती थी।
- ( ४ ) शालाक्य तंत्र- उर्ध्वांग अर्थात् नाक , कान , गला आदि की चिकित्सा
- आयुर्वेद विज्ञान के आठ अंग हैं- शल्य , शालाक्य, कायचिकित्सा, भूतविधा, कौमारमृत्य, अगदतन्त्रा, रसायन और वाजीकरण।
- आयुर्वेद विज्ञान के आठ अंग हैं- शल्य , शालाक्य, कायचिकित्सा, भूतविधा, कौमारमृत्य, अगदतन्त्रा, रसायन और वाजीकरण।
- इसके आठ अंग माने गए : काय, शल्य, शालाक्य, बाल, ग्रह, विष, रसायन एवं बाजीकरण।
- इसके आठ अंग माने गए : काय, शल्य, शालाक्य, बाल, ग्रह, विष, रसायन एवं बाजीकरण।
- प्राय : सभी अवयवों की चिकित्सा शल्य और शालाक्य ( चीर फाड़ ) द्वारा होती थी।
- आप शस्त्रकर्मविद तथा उच्चकोटि के विद्वान वैद्य हैं . आयुर्वेदको आपसे शल्य-~ शालाक्य के क्षेत्र में नई-नई उपलब्धियों की आशा है.