श्वपाक का अर्थ
[ shevpaak ]
श्वपाक उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- एक जाति का सदस्य जिसका काम श्मशान पर शव को आग देना या बाँस आदि के पात्र बनाना होता है:"चांडाल भी समाज के एक अभिन्न अंग होते हैं"
पर्याय: चांडाल, चंडाल, चाण्डाल, चण्डाल, डोम, मातंग, श्वपच, अंतावसायी, अन्तावसायी, अंत्यावसायी, अन्त्यावसायी, अंतेवासी, अन्तेवासी - एक प्राचीन अन्त्यज, नीच और बर्बर जाति:"वह चांडाल में जन्म लेकर भी उच्च संस्कारों वाला है"
पर्याय: चांडाल, चंडाल, चाण्डाल, चण्डाल, डोम, श्वपच, चांडाल जाति, चंडाल जाति, चाण्डाल जाति, डोम जाति, श्वपच जाति, श्वपाक जाति, मातंग, पुक्कस, मातंग जाति, पुक्कस जाति
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- चांडाल , चंडाल, मातंग, श्वपच, श्वपाक 3.
- उदाहरण के लिये वेदव्यास स्मृति के अनुसार चाण्डाल और श्वपाक अन्त्यज हैं किन्तु अत्रि स्मृति के अनुसार नहीं।
- उदाहरण के लिये वेदव्यास स्मृति के अनुसार चाण्डाल और श्वपाक अन्त्यज हैं किन्तु अत्रि स्मृति के अनुसार नहीं।
- जिन वर्णसंकर जातियों का उल्लेख है वे हैं - अम्बष्ठ निषाद , पारशव, रथकार, क्षत्ता, वेदेहक, मागध, सूत, पुल्लकस, वेण, चंडाल, श्वपाक इत्यादि।
- चांडाल ने पूछा , यदि मैं छू लूँगा , तो क्या हो जाएगा ? उनने कहा कि फिर से नहाना पड़ेगा ; क्योंकि तू चांडाल ( श्वपाक ) है।
- जिन वर्णसंकर जातियों का उल्लेख है वे हैं - अम्बष्ठ निषाद , पारशव , रथकार , क्षत्ता , वेदेहक , मागध , सूत , पुल्लकस , वेण , चंडाल , श्वपाक इत्यादि।
- जिन वर्णसंकर जातियों का उल्लेख है वे हैं - अम्बष्ठ निषाद , पारशव , रथकार , क्षत्ता , वेदेहक , मागध , सूत , पुल्लकस , वेण , चंडाल , श्वपाक इत्यादि।
- चाहे मनुष्य रूप में श्रेष्ठ ब्राह्मण हो अथवा बुद्धिमान पशु ( गौ एवं हाथी ) , जड़बुद्धि मनुष्य ( श्वपाक , चांडाल ) अथवा कुत्ते जैसा पशु , ज्ञानी इन सबमें एक जैसे ब्रह्म की ही सतत अनुभूति करता है।
- प्रतिलोम विवाह से उत्पन्न संतानों को इस धर्मसूत्र के प्रथम प्रश्न के नवम अध्याय में चाण्डाल , रथकार , कुक्कुट , वैदेहक , श्वपाक , पाराशव , निषाद आदि अनेक नामों से पुकारा गया है * कि सभी वर्णसंकर संतानें हैं जो वर्णों के परस्पर संबंधों से उत्पन्न हुई हैं।
- प्रतिलोम विवाह से उत्पन्न संतानों को इस धर्मसूत्र के प्रथम प्रश्न के नवम अध्याय में चाण्डाल , रथकार , कुक्कुट , वैदेहक , श्वपाक , पाराशव , निषाद आदि अनेक नामों से पुकारा गया है * कि सभी वर्णसंकर संतानें हैं जो वर्णों के परस्पर संबंधों से उत्पन्न हुई हैं।