श्वेताश्वतरोपनिषद् का अर्थ
[ shevaashevteropenised ]
श्वेताश्वतरोपनिषद् उदाहरण वाक्य
परिभाषा
संज्ञा- मुख्य उपनिषदों में से एक :"श्वेताश्वतर उपनिषद् यजुर्वेद से संबंधित है"
पर्याय: श्वेताश्वतर उपनिषद्, श्वेताश्वतर उपनिषद, श्वेताश्वतरोपनिषद, श्वेताश्वतर
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- ( श्वेताश्वतरोपनिषद् 6 / 7 )
- ५ - १ - श्वेताश्वतरोपनिषद् .
- ( श्वेताश्वतरोपनिषद् 5 / 1 )
- “ ( श्वेताश्वतरोपनिषद् ) ” अग्निर्यत्राभिमथ्यते ” - नारायण ।
- श्वेताश्वतरोपनिषद् भी शिव शब्द की व्याख्या व्यापक अर्थ में ही करता है - “
- श्वेताश्वतरोपनिषद् के अनुसार परमेश्वर वेदों के गुह्य भाग उपनिषदों में निहित है ( तद्वेद गुह्योपनिषत्सु गूढ़ं ) .
- लगभग 3000 वर्ष पूर्व रचित श्वेताश्वतरोपनिषद् में ब्रह्माण्ड के सबसे छोटे कण के माप का वर्णन मिलता है।
- भारतीय साहित्य में श्वेताश्वतरोपनिषद् में इस प्रकार के विस्तृत विचार मिलते हैं जिनके आधार पर भारतीय ईश्वरवाद की स्थापना की जा सकती है।
- इसकी पुष्टि श्वेताश्वतरोपनिषद् के उस मंत्र से होती है जिसमें कहा गया है कि ' प्रकृति को माया जालों और मायावी को महेश्वर।
- एक अकेला बहुत से शासक निष्क्रिय तत्व एक बीज बहु रूप प्रकट हो धीर आत्म में देख धीर देख अस ईश को शाश्वत सुख नहिं अन्य . १२-६ श्वेताश्वतरोपनिषद्..