सद्य का अर्थ
[ sedy ]
सद्य उदाहरण वाक्य
परिभाषा
क्रिया-विशेषण- बिना देर किए:"माँ ने आपको तुरंत घर बुलाया है"
पर्याय: तुरंत, तुरन्त, तत्काल, शीघ्र, अविलंब, अविलम्ब, तत्क्षण, अविलंबतः, अविलम्बतः, आनन-फानन में, अविलंबित, अविलम्बित, हाथों-हाथ, हाथा-हाथी, खड़े-खड़े, आशु, अचिर, तूर्ण - इसी समय या इस वक़्त या इस क्षण:"अभी मैं सोना चाहता हूँ"
पर्याय: अभी, फ़िलहाल, फिलहाल, इस समय, इस वक्त, अब, अथ, अधुना, संप्रति, सम्प्रति, अभू, अभै
- एक सृष्टिनाशक हिन्दू देवता:"शंकर की पूजा लिंग के रूप में प्रचलित है"
पर्याय: शंकर, शिव, शङ्कर, महादेव, आशुतोष, कैलाश नाथ, त्रिपुरारी, त्रिपुरारि, भोलेनाथ, विश्वनाथ, महेश, भोला, भोलानाथ, पिनाकी, जटाधारी, हर, पिनाकपाणि, देवेश्वर, अनंगरि, अनर्थनाशी, अन्नपति, शंभु, शम्भु, रुद्र, त्र्यक्ष, त्र्यंबक, त्र्यम्बक, सुप्रतीक, गिरिनाथ, भगाली, सतीश, अबलाबल, अब्जवाहन, विद्वत्, राकेश, जटामाली, महार्णव, वीरेश, वीरेश्वर, शारंगपाणि, शारंगपानि, नागी, अंड, अण्ड, अंधकारि, अंबरीष, अक्षमाली, अघोरनाथ, अनंगारि, सर्पमाली, अयोनिज, अयोनि, अरिंदम, अर्घेश्वर, अहिमाली, इंदुशेखर, इन्दुशेखर, उग्रधन्वा, उमाकान्त, उमाकांत, उमेश, कपालपाणि, कपाली, कामारि, कालेश, काशीनाथ, कैलाशनाथ, गंगाधर, गिरीश, गौरीश, चंद्रशेखर, चन्द्रशेखर, तारकेश्वर, त्रिपुरांतक, नंदिकेश्वर, नन्दिकेश्वर, नीलग्रीव, परंजय, भवेश, भूतनाथ, भूतेश, भुवनेश, मंगलेश, महेश्वर, मृत्युंजय, योगीश, विरुपाक्ष, विरोचन, वृषभकेतु, अम्बरीष, वैद्यनाथ, व्योमकेश, पंचानन, शशिधर, नदीधर, भूतचारी, त्रिनेत्र, शशिभूषण, वसुप्रद, बीजवाहन, नपराजित, सवर, भव, पंचमुख, पञ्चमुख, पशुपति, पश, पादभुज, भालचंद्र, भालचन्द्र, वरेश्वर, पार्श्ववक्त्र, धूम्र, विभु, ययातीश्वर, ययी, यमेश्वर, कील, योगीनाथ, अक्षतवीर्य, महाक्रोध, दुष्काल, सर्व, कुंड, कुण्ड, नाभ, अपराधभंजन, संवत्सर, सुहृद, शिखंडी, शिखण्डी, जगद्योनि, देवाधिदेव, पुद्गल, फाल, अमृतवपु, अमोघदंड, अमोघदण्ड, अस्थिमाली
उदाहरण वाक्य
अधिक: आगे- रक्तसे शुचि स्वेद कण से सद्य संचित प्रेरणा॥
- नव मानवता का सद्य करेगी युग स्वागत ।
- सुख संतोष प्राप्त हो सत्वर॥151॥ स्तोत्र पारायण सद्य :
- इनकी शक्ति अमोघ और सद्य : फलदायिनी है।
- भारत की सद्य आर्थिक नीतियां उसकी अनुगामिनी है।
- ( चालू) = सद्य अवतरण के बीच में फ़र्क़,
- के सद्य : प्रकाशित कविता संग्रह 'चंदन पानी '
- स्मरणदेव गंगाया : सद्य : पापै : प्रमुच्यते।।
- स्मरणदेव गंगाया : सद्य : पापै : प्रमुच्यते।।
- आर्यभटने लिखे तीन ग्रंथोंकी जानकारी सद्य : स्थितीमें उपलब्ध है.